Bundeli Gaurav |
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Website Launch on 28.01.2010 at IIC, New Delhi |
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EDITORIAL |
Shri Jagannath Singh, I.A.S.(Retd.) |
अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम परिवार के सदस्यों को "रामनवमी" की शुभकामनायें। राम जिन्होंने बुंदेलखंड के चित्रकूट क्षेत्र में संकल्प लिया कि "निश्चर हीन महि करूँ , भुज उठाहि प्रण (Read More)
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Home » 2010 » February » 06
सागर. शिक्षा के क्षेत्र में संभागीय
मुख्यालय सागर को एक और सौगात मिलने की उम्मीद है। मेडिकल कॉलेज शुरू होने
के बाद अब सैनिक स्कूल खोले जाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। रीवा के
बाद प्रदेश का यह दूसरा सैनिक स्कूल होगा।
बंडा रोड स्थित गंभीरिया ग्राम पंचायत की 40 एकड़ जमीन पर सैनिक स्कूल
खोलने के लिए रक्षा मंत्रालय को जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव जिला
प्रशासन ने बनाकर राज्य सरकार को भेज दिया है। कलेक्टर मनीष श्रीवास्तव ने
बताया कि प्रस्तावित जमीन का निरीक्षण करने के लिए बुधवार को सैनिक स्कूल
रीवा के प्राचार्य सागर आए थे।
उन्होंने जमीन का निरीक्षण किया। कलेक्टर का कहना है कि राज्य सरकार से
जमीन आवंटन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो सैनिक स्कूल खुलने
का रास्ता साफ हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि पिछले चार साल से सागर को शिक्षा
के क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण उपलिब्धयां हासिल हुई है।
जिसमें डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यायल को केंद्रीय विश्वविद्यालय का
दर्जा और 165 करोड़ रुपए की लागत से मेडिकल कॉलेज शुरू होना सागर के
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सागर.
सरकार द्वारा शकर के कोटे में 177 मेट्रिक टन कटौती किए जाने के कारण
गरीबों को अब सिर्फ डेढ़ किलो सस्ती मिठास से संतोष करना पड़ेगा। बाजार
में जब से शकर के दाम बढ़े हैं तभी से उचित मूल्य दुकानों पर सस्ती शकर का
टोटा बना हुआ है।
जनवरी में लीड संस्थाओं द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम से शकर का
पूरा उठाव न किए जाने के कारण 75000 से अधिक गरीबों को 13.50 रुपए
प्रतिकिलो वाली शकर नहीं मिली थी।
सरकार ने इस बार शकर का कम कोटा दिया है।
इस कारण फरवरी में उचित मूल्य की दुकान पर प्रत्येक कार्डधारी को 2
किलो के बजाए सिर्फ डेढ़ किलो मिलेगी। जिले में पौने तीन लाख से ज्यादा
गरीब कार्डधारी हैं। सरकार ने इनके लिए 580 मेट्रिक टन के स्थान पर सिर्फ
403 मेट्रिक टन शकर का कोटा रिलीज किया है।
कोटा घट जाने की वजह से खाद्य विभाग जिले की सभी शासकीय उचित मूल्य की
दुकानों के
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सागर. आगामी वित्त वर्ष 2010-11 के लिए घोषित की गई शासन की
आबकारी नीति स्थानीय शराब ठेकेदारों को रास नहीं आ रही है। अधिकांश
ठेकेदार वर्तमान लाइसेंस फीस से 20 फीसदी अधिक राशि जमा करके ठेके का
नवीनीकरण कराने के बजाए नीलामी पद्धति से ठेका हासिल करने की तैयारी में
जुट गए हैं।
ठेकेदार इसके पीछे वर्तमान वित्त वर्ष में विभाग के असहयोगात्मक रवैए
को मुख्य कारण बता रहे हैं। दूसरी ओर आबकारी विभाग के आला अधिकारी
ठेकेदारों की इस मंशा को भांपते हुए उन्हें नवीनीकरण के माध्यम से ठेका
लेने के लिए मनाने में जुट गए हैं लेकिन बात बनती नहीं दिख रही।
80 फीसदी आय जरूरी
शासन ने गत जनवरी में नई आबकारी नीति घोषित की है। जिसके मुताबिक
आबकारी ठेकेदारों को वर्तमान फीस से 20 फीसदी अधिक लाइसेंस फीस जमा करने
पर संबंधित दुकान का ठेका पुन: एक वर्ष के लिए दिया जाएगा।
हालांकि शासन ने इसमें एक शर्त यह भी जोड़ी है कि ठेकों का नवीनीकरण
तभी किया जाएगा जब किसी भी जिले से चालू वर्ष में मिले राजस्व की 80 फीसदी
राशि मिलना तय हो जाए। अधिकृत जानकारी
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सागर. सांसद निधि में यदि 3 करोड़ रुपए का
इजाफा हो रहा है तो यह कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। बुंदेलखंड जैसे पिछड़े
इलाकों में प्रस्तावित 5 करोड़ रुपए की वार्षिक निधि भी कम है।
यहां कम से कम 10 करोड़ रुपए सालाना सांसद निधि मिलनी चाहिए। इसके
अलावा क्षेत्र को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए यहां बड़े
प्रोजेक्ट मंजूर किए जाने चाहिए। यह कहना है सांसद भूपेंद्रसिंह का।
सांसद से अधिक मिलती है विधायक को निधि-केंद्र सरकार के सांसद निधि
बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव पर श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश के एक विधायक को
सांसद से कहीं अधिक निधि मिलती है। सांसद को जहां प्रत्येक आठ विधानसभा
क्षेत्र के मान से साल भर में 2 करोड़ रुपए मिलते हैं वहीं एक विधायक को
साल भर में 80 लाख रुपए मिलते हैं।
किसी भी सांसद के लिए 25 लाख रुपए प्रति विधानसभा के मान से क्षेत्र
में पर्याप्त विकास कराना असंभव है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार सांसद निधि
की राशि 2 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष करने पर
विचार कर रही है। हाल ही में केंद्र सरक
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सागर. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण
रोजगार गारंटी स्कीम के 100 कैमरों में से महज 50 कैमरे इंजीनियरों ने
जिला पंचायत कार्यालय में जमा किए हैं। जिला पंचायत सीईओ ने 20 दिन पहले
सागर सहित जिले की सभी जनपद पंचायतों के इंजीनियरों से मनरेगा के कैमरे
वापस मांगे थे।
अब तक आधे कैमरे ही वापस आए हैं,सागर और बंडा जनपद को छोड़कर अन्य
जनपदों के इंजीनियर इन्हें वापस करने के प्रति गंभीर नहंीं हैं। कैमरों की
वापसी पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के आदेश पर हो रही है।
पिछले वर्ष जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ श्रीनिवास शर्मा के कार्यकाल
में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी मद से 10 लाख रुपए खर्च करके 100
कैमरे खरीदे गए थे।
गारंटी योजना के तहत पंचायतों में होने वाले विकास कार्यो की तस्वीर
कैद करने के लिए यह मनरेगा के इंजीनियरों को बांटे गए थे। 10 लाख की खरीदी
के इस मामले में फिलहाल मंत्रालय ने इंजीनियरों से कैमरे वापस लेने के
निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि मनरेगा में नियुक्त इंजीनियरों की संख्या महज 75 है
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सागर. नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी अब
अपने दफ्तर में ड्रेस पहनकर आएंगे । साथ ही उनकी शर्ट पर उनके नाम और पद
की पट्टिका भी नजर आएगी। निगम में सभी अफसरों और कर्मचारियों के लिए ड्रेस
कोड अनिवार्य कर दिया गया है।
निगम आयुक्त रत्नाकर सिंह चौहान ने मंगलवार को सभी विभाग प्रमुखों को
आदेश जारी कर दिए हैं। जिसमें कहा गया है कि कार्यालयीन समय में सुबह
10.30 से 5.30 बजे तक सभी अधिकारी और तृतीय वर्ग कर्मचारी ड्रेस में
उपस्थित रहेंगे। नेम प्लेट में कर्मचारी का नाम, पदनाम और विभाग का नाम
स्पष्ट अक्षरोंे में लिखा होना चाहिए।
ड्रेस कोड का पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। अधिकारी
और कर्मचारियों को नेवी कलर की शर्ट और ब्ल्यू कलर का पैंट, काले जूते
पहनकर आना होगा। इसी प्रकार महिला कर्मचारियों को नेवी कलर का ब्लाउज,
ब्ल्यू कलर की साड़ी पहनकर आना अनिवार्य कर दिया है। चतुर्थ श्रेणी
कर्मचारियों को खाकी पैंट शर्ट और काले जूते पहनकर कार्यालय आना होगा।
तकनीकी मैदानी अमला चाहे फील्ड में हो या कार्यालय में उन्हें ड्रेस पहनना
जरूरी कर द
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झांसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में चलने
वाले विभिन्न पाठ्यक्रमों के घाटे में जाने से आय तो प्रभावित हो ही रही
है, उनके अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडराने लगे है। भविष्य में उनका
क्या होगा? ये तो अधिकारी ही जाने, फिलहाल विश्वविद्यालय के कमाऊ साबित
होने वाले विभागों ने अपनी आय को दर्शाने के लिए अलग खाता खुलवाने की मांग
की है।
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में लगभग प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में
वहां संचालित होने वाले दर्जन भर पाठ्यक्रमों की आय का हिसाब-किताब सामने
आ जाता है। विभिन्न व्यवहारिक परेशानियों के बावजूद पाठ्यक्रम तो संचालित
हो रहे है, मगर छात्रों में उनके प्रति दिलचस्पी न होने के कारण सबसे
ज्यादा प्रभाव उनकी वार्षिक आय पर पड़ता है। इसका खामियाजा तो ऐसे तो
विभागों को भुगतना ही पड़ता है, मगर अब उनके अस्तित्व पर ही संकट के बादल
मंडराने वाली स्थित आन पड़ी है। गौरतलब है कि स्ववित्त पोषित योजना के तहत
संचालित होने वाले फार्मेसी व इंजीनियरिंग विभागों से ही विश्वविद्यालय को
सबसे ज्यादा आय होती है। छात्रों में इनके प्रति दिलचस्पी भी है। इसलिए
इनमें प्रवेश
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झांसी। 'स्थिर विकास के लिए पर्यावरण,
प्राकृतिक संसाधनों एवं आर्थिक स्त्रोतों में अन्तर्सम्बन्ध होना आवश्यक
है। पर्यावरणीय व्यवस्था आर्थिक व्यवस्था को प्रभावित करती है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थिर विकास के लिए आवश्यक है कि यहां के लोग
विकास के मायने सही रूप में समझें।' उक्त उद्गार समाज कार्य विभाग, डॉ
बीआर अम्बेडकर समाज विज्ञान संस्थान, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा
'वूमेन वर्क्स हैल्थ इनीशिएटिव,' नई दिल्ली के सहयोग से कांफ्रेंस हॉल
में 'बुन्देलखण्ड क्षेत्र में आर्थिक एवं टिकाऊ विकास' विषय पर आयोजित एक
संगोष्ठी के दौरान कुलपति प्रोफेसर एसवीएस राना ने व्यक्त किए।
प्रारम्भ में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरवी सिंह ने सभी
आगन्तुकों का स्वागत करते हुए कहा कि आज के परिवेश में टिकाऊ विकास सबसे
बड़ी आवश्यकता है। वूमेन वर्क्स हैल्थ इनीशिएटिव की सचिव अमिता सहाय ने
संगोष्ठी के उद्देश्यों से अवगत कराते हुए कहा कि संस्था का प्रयास
बुन्देलखण्ड के लोगों के सहयोग से यहां व्याप्त कुरीतियों से उत्पन्न होने
वाली समस्याओं को दूर कराना है। इस मौके पर स्वीडन
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झांसी। राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन योजना के
तहत बनाए गए सामुदायिक तालाबों के निरीक्षण के लिए प्रमुख सचिव ग्राम
विकास व उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्रीकृष्ण के निर्देशानुसार दो
दिवसीय निरीक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत अपर निदेशक (निदेशालय लखनऊ)
राजापाल सिंह व राष्ट्रीय विकास योजना कार्यक्रम, लैण्ड स्केप आर्किटेक्ट
व मनरेगा के नोडल ऑफीसर डॉ. सर्वेश कुमार ने संयुक्त रूप से बरुआसागर के
फुटेरा स्थित गणेश बाग में दैनिक जागरण की स्वयंसेवी संस्था 'आस्था'
द्वारा निर्मित कराए गए तालाब का निरीक्षण किया।
उन्होंने 'आस्था' संस्था के महासचिव प्रवीण लिटौरिया व सदस्य विजय
कुमार दुबे द्वारा तालाब के आसपास लगभग दस हेक्टेयर क्षेत्र में कराए गए
पौधारोपण का भी निरीक्षण किया और प्रशंसा की। पौधारोपण में अमरूद, आंवला,
नींबू आदि प्रजातियों के पौधों को महत्व दिया गया। इस मौके पर अपर निदेशक
राजापाल सिंह ने ग्रामीणों को तालाब से होने वाले लाभ की जानकारी दी।
उन्होंने किसानों का बागवाली के प्रति ध्यानाकर्षण कराते हुए इससे होने
वाले लाभों से भी अवगत कराया। उन्होंने पपीता की खेती पर जोर दिय
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झांसी। सहरिया आदिवासियों ने आज रैली कर
अधिकार व सम्मान दिलाने के लिए मध्यप्रदेश की तरह जनजाति का दर्जा व
आरक्षण दिलाने की मांग की। इसके पहले आदिवासियों ने बस स्टैण्ड से कचहरी
के बीच जुलूस निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया। आदिवासियों ने उप जिलाधिकारी
के सामने जनपद में जमीन के पट्टें व राशन सामग्री नहीं मिलने का मुखर
विरोध किया।
एकता परिषद के तत्वावधान में बुन्देलखण्ड के सहरिया आदिवासियों ने आज
जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। शिक्षा भवन परिसर में हुई सभा में सहरिया
समाज के गोपाल सहारिया, भागीरथ व मेवा ने आपबीती सुनाते हुए कहा सहरिया
समाज को सम्मान व पहचान के साथ जनजाति का दर्जा भी हासिल नहीं है। सभा को
सम्बोधित करते हुए एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. रनसिंह परमार ने
कहा कि समाज के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को महसूस कर उन्हे इज्जात के साथ
रोटी की गारण्टी सरकार व समाज को लेना होगा। सहरियों को जीवन जीने के
बुनियादी संसाधनों जल, जंगल जमीन से बेदखली और विस्थापन का खेल बन्द करना
ही पड़ेगा। अन्याय व जुल्म के खिलाफ अब सहरिया समाज को संगठित होकर लड़ाई
लड़नी पड़ेगी। सभा
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झांसी। बेरोजगारी के मारे राज्य स्तरीय
प्रतियोगिताओं तक में शिरकत कर चुके खिलाड़ी महज पांच सौ रुपये प्रति माह
पर नौकरी करने को मजबूर है। यह तस्वार है ग्रामीण स्तर पर खेल को बढ़ावा
देने के लिये केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल
अभियान योजना यानि पाइका की। इस योजना के तहत जिले में वित्तीय वर्ष में
कुल ग्राम पंचायतों की दस फीसदी ग्राम पंचायतों में मांग के अनुरूप खेल का
मैदान, एक क्षेत्र पंचायत में स्टेडियम आदि विकसित किया जाना है। इसमें
प्रति ग्राम पंचायत एक लाख रुपये तक खर्च होने है। जिले में 44 ग्राम
पंचायतों का चयन किया गया है। ये सभी वर्ष 2008-2009 के तहत चयनित की गयी
ग्राम पंचायतें है। अब तक इन ग्राम पंचायतों के लिये पचास हजार रुपये
प्रति ग्राम पंचायत बजट आ सका है। इन ग्राम पंचायतों में खेल प्रतिभाओं को
तराशने के लिये क्रीड़ा श्री की नियुक्ति की गयी है और वह भी पांच सौ रुपये
प्रति माह पर। कुल 44 ग्राम पंचायतों में सिर्फ 33 ग्राम पंचायतों में ही
जिला युवा कल्याण विभाग यह नियुक्तियां कर सका है।
जिला युवा कल्याण विभाग की अलमारियों म
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झांसी। नार्वे के प्रधानमंत्री जेन्स
स्टॉल्टेन बर्ग एवं उनके साथ तेरह सदस्यीय दल ने रमपुरा गांव में
विद्युत्तीकरण के लिये लगाये गये सोलर प्लांट का निरीक्षण किया और
ग्रामीणों के घरों में प्लांट से बनी उर्जा से जलाये जा रहे विद्युत
उपकरणों को देखा। प्लांट की सफलता पर उन्होंने कम्पनी, स्थानीय प्रशासन
एवं ग्रामीणों के प्रति प्रशन्नता जाहिर की।
भारत में ग्रामीण विद्युत्तीकरण की परियोजना पर कार्य कर रही नार्वे
की स्काटेक सोलर एवं वित्तीयन भारत द्वारा जिले के बड़ागांव विकास खण्ड की
पहलगुवां पंचायत के रमपुरा गांव में 50 लाख की लागत से तैयार किये गये
प्लांट के निरीक्षण उपरांत आयोजित सभा में प्रधानमंत्री नार्वे ने कहा कि
इस प्लांट को उदाहरण के तौर पर लगाया गया था। प्लांट की सफलता वह नार्वे
में जाकर बतायेंगे। उन्होंने कहा कि नार्वे की तकनीकी एवं भारत की उर्जा
के मिलने से प्लांट की सफलता हाथ लगी है। उन्होंने बताया कि नार्वे में
क्षमता तो अधिक है, लेकिन सूर्य उर्जा की उपलब्धता कम है। नर्वे की
अपेक्षा भारत में उर्जा पांच गुनी अधिक है। उन्होंने बताया कि सभी
प्राइवेट कम
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