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5:39 PM
विश्वविद्यालय : ऐसे तो कई विभागों पर छा जाएगा संकट
झांसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में चलने
वाले विभिन्न पाठ्यक्रमों के घाटे में जाने से आय तो प्रभावित हो ही रही
है, उनके अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडराने लगे है। भविष्य में उनका
क्या होगा? ये तो अधिकारी ही जाने, फिलहाल विश्वविद्यालय के कमाऊ साबित
होने वाले विभागों ने अपनी आय को दर्शाने के लिए अलग खाता खुलवाने की मांग
की है।
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में लगभग प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में
वहां संचालित होने वाले दर्जन भर पाठ्यक्रमों की आय का हिसाब-किताब सामने
आ जाता है। विभिन्न व्यवहारिक परेशानियों के बावजूद पाठ्यक्रम तो संचालित
हो रहे है, मगर छात्रों में उनके प्रति दिलचस्पी न होने के कारण सबसे
ज्यादा प्रभाव उनकी वार्षिक आय पर पड़ता है। इसका खामियाजा तो ऐसे तो
विभागों को भुगतना ही पड़ता है, मगर अब उनके अस्तित्व पर ही संकट के बादल
मंडराने वाली स्थित आन पड़ी है। गौरतलब है कि स्ववित्त पोषित योजना के तहत
संचालित होने वाले फार्मेसी व इंजीनियरिंग विभागों से ही विश्वविद्यालय को
सबसे ज्यादा आय होती है। छात्रों में इनके प्रति दिलचस्पी भी है। इसलिए
इनमें प्रवेश के लिए मारामारी मची रहती है। इनके अलावा बेसिक साइंस,
पत्रकारिता, बायोलॅजी, फाइन आर्टस, फिजियोथेरिपी आदि विभागों की आय उम्मीद
से कम है। अभी तक विश्वविद्यालय द्वारा एसएफएस के सभी विभागों से होने
वाली आय के लिए बैंक में सिर्फ एक खाता खोला गया था। कमाएं हम और मौज करे
दूसरा। इसी तर्ज पर विश्वविद्यालय के फार्मेसी इंजीनियरिंग विभागों के
अधिकारियों ने कुलपति, कुलसचिव व एसएफएस डायरेक्टर को पत्र लिखकर अपने
खाते अलग-अलग संचालित करने की मांग की है। ताकि वे वित्तीय वर्ष के अंत
में अपनी आय अलग से दर्शा सकें और अधिकारियों की नजरों में पूरे नम्बर भी
पा सकें। जानकारों का कहना कि ऐसे में यदि इनकी आय अलग हो गई तो घाटे में
चल रहे विभागों व पाठयक्रमों के लिए सुविधाएं जुटाना मुश्किल हो जाएगा और
उनके भविष्य पर भी सवालिया निशान लग जाएगा। विश्वविद्यालय के अधिकारी इस
पशोपेश में है, कि कमाऊ विभागों के खाते अलग किए जाएं, या नहीं?