सागर. आगामी वित्त वर्ष 2010-11 के लिए घोषित की गई शासन की
आबकारी नीति स्थानीय शराब ठेकेदारों को रास नहीं आ रही है। अधिकांश
ठेकेदार वर्तमान लाइसेंस फीस से 20 फीसदी अधिक राशि जमा करके ठेके का
नवीनीकरण कराने के बजाए नीलामी पद्धति से ठेका हासिल करने की तैयारी में
जुट गए हैं।
ठेकेदार इसके पीछे वर्तमान वित्त वर्ष में विभाग के असहयोगात्मक रवैए
को मुख्य कारण बता रहे हैं। दूसरी ओर आबकारी विभाग के आला अधिकारी
ठेकेदारों की इस मंशा को भांपते हुए उन्हें नवीनीकरण के माध्यम से ठेका
लेने के लिए मनाने में जुट गए हैं लेकिन बात बनती नहीं दिख रही।
80 फीसदी आय जरूरी
शासन ने गत जनवरी में नई आबकारी नीति घोषित की है। जिसके मुताबिक
आबकारी ठेकेदारों को वर्तमान फीस से 20 फीसदी अधिक लाइसेंस फीस जमा करने
पर संबंधित दुकान का ठेका पुन: एक वर्ष के लिए दिया जाएगा।
हालांकि शासन ने इसमें एक शर्त यह भी जोड़ी है कि ठेकों का नवीनीकरण
तभी किया जाएगा जब किसी भी जिले से चालू वर्ष में मिले राजस्व की 80 फीसदी
राशि मिलना तय हो जाए। अधिकृत जानकारी के अनुसार सागर में देसी शराब की 65
तथा अंग्रेजी शराब की 32 दुकानें हैं।
विभाग को इन दुकानों से चालू वर्ष में 73 करोड़ 20 लाख 80 हजार 663
रुपए की आय हुई थी। 20 फीसदी वृद्धि के बाद विभाग को इस बार 87 करोड़ 84
लाख ९६ हजार 796 का लक्ष्य मिला है। जिसमें से उसे 80 फीसदी राशि 58 करोड़
56 लाख 64 हजार 530 रुपए नवीनीकरण के माध्यम से हासिल करने हैं। ऐसा हुआ
तो विभाग को जिले की दुकानों की नीलामी प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। वरना
विभाग को एक साथ सभी दुकानें नीलाम करनी होंगी।
समय रहते मदद नहीं की
नई नीति से बिदक रहे छोटे-मंझोले ठेकेदारों की माने तो विभाग पूरे साल
बड़े ठेकेदारों के हाथ की कठपुतली बना रहा। उनके अनुसार शहर में कई जगहों
पर न्यूनतम सरकारी मूल्य से भी कम दर में देसी-विदेशी शराब की बिक्री होती
रही।
पीड़ित ठेकेदार इसकी शिकायत लेकर विभाग के सहायक आबकारी आयुक्त से लेकर
ग्वालियर में आबकारी आयुक्तऔर विभागीय मंत्री के दरबार तक घूम आए लेकिन
कोई फर्क नहीं पड़ा। इन्हीं में से एक ठेकेदार मनोज राय (परिवर्तित नाम)
का कहना है कि अगर विभाग उनकी अप्रैल 09 की शुरूआत से मदद करता तो यह नौबत
नहीं आती।
उनके अनुसार विभाग के निरीक्षक मनमानी कार्रवाइयां कर चालान काटते रहे
और ठेकेदारों का पक्ष सुने बिना जुर्माना लेते रहे। श्री राय का कहना है
कि अब विभाग की गरज ठेकेदारों से हो गई है क्योंकि अगर अधिकांश ठेकेदारों
ने लायसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया तो उन्हें नीलामी प्रक्रिया अपनानी
होगी। जिससे विभाग की राजस्व आय पर असर पड़ेगा।
प्रयास है कि सभी का नवीनीकरण हो
ञ्चकतिपय ठेकेदार नई नीति से नाखुश है यह उनकी बात है। मेरा प्रयास है
कि जरूरत के मुताबिक दुकानों का नवीनीकरण हो जाए। उन्हें 11 फरवरी तक
नवीनीकरण कराने का मौका दिया है। इसके बाद 14 फरवरी से नीलामी की
प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।