Bundeli Gaurav |
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Website Launch on 28.01.2010 at IIC, New Delhi |
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EDITORIAL |
Shri Jagannath Singh, I.A.S.(Retd.) |
अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम परिवार के सदस्यों को "रामनवमी" की शुभकामनायें। राम जिन्होंने बुंदेलखंड के चित्रकूट क्षेत्र में संकल्प लिया कि "निश्चर हीन महि करूँ , भुज उठाहि प्रण (Read More)
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Home » Jhansi
झांसी। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के निदेशक आरडी चन्द्रहास ने
समीक्षा के दौरान जल निगम, पंचायतराज, वन, जिलापूर्ति आदि विभागों में
अनुसूचित जाति के हितों की योजनाओं में गड़बड़ियों को उजागर किया। उन्होंने
अफसरों को आड़े हाथों लेते हुए अनुसूचित जाति के हितों की रक्षार्थ
शासनादेशों के अन्तर्गत कार्रवाई नहीं करने व धन का अपव्यय करने पर दण्डित
करने की चेतावनी दी।
आयोग के निदेशक ने गाधी सभागार में विविध विभागों की समीक्षा करते हुए
शासनादेशों को फाइलों में दफ्न नहीं कर उसके अनुरूप कार्य करने का पाठ
पढ़ाया। उन्होंने वर्ष 2007-08 व 08-09 में अनुसूचित जाति उत्पीड़न प्रकरण
में आर्थिक सहायता वितरण की समीक्षा करते हुए कई प्रकरणों में एफआईआर व
आरोप पत्र प्रस्तुत करने के मध्य का अन्तराल 3 माह से भी अधिक मिलने पर
एफआर लगाने में सावधानी बरतने के निर्देश दिए। उन्होंने पीड़ित के पक्ष में
मुकदमा नहीं होने पर आर्थिक सहायता मुद्दे पर स्पष्ट किया कि जिनमें
अनुसूचित जाति अत्याचार सम्बन्धी धारा 3 1 11 व 3 1 12 लगी हैं उनमें पीड़ित
के पक्ष में मुकदमे का निस्तारण होना जर
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झांसी। सिंचाई के लिए बूंद-बूंद पानी का उपयोग कर रबी फसल में भरपूर
उत्पादन लेने हेतु किसी प्रकार स्प्रिंकलर व ड्रिप सिंचाई प्रणाली पर
अनुदान की घोषणा के बाद आवेदन किए गए, किन्तु काश्तकार स्प्रिंकलर सेट लेने
का साहस नहीं जुटा पा रहे है।
गौरतलब है कि बुन्देलखण्ड में जल संचयन योजना के अन्तर्गत कृषकों को
सिंचाई सुविधा हेतु स्प्रिंकलर व ड्रिप सिंचाई प्रणाली के अन्तर्गत
स्प्रिंकलर सेट की खरीद में अनुसूचित जाति व जनजाति, लघु-सीमात श्रेणी के
पात्र कृषकों को शत-प्रतिशत अनुदान एवं सामान्य श्रेणी के कृषकों को 75
प्रतिशत अनुदान सुविधा दी जा रही है।
पात्र लाभार्थियों का चयन ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधान की
अध्यक्षता में आयोजित बैठकों में किया गया। बैठकों के प्रस्ताव व लाभार्थी
के आवेदन पत्र नामित सहायक विकास अधिकारी कृषि, विषय वस्तु विशेषज्ञ द्वारा
एकत्रित करके सम्बन्धित उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी से सत्यापित
कराके उप कृषि निदेशक को उपलब्ध कराए गए।
नियमानुसार यह लाभ उन्हीं को मिलेगा, जहा पम्पिंग सेट बोरिग, बंधिया,
नदिया आदि सिं
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झांसी। सीपरी बाजार में ओवर ब्रिज बनने के मामले में राज्य सरकार की
ढील बात को बिगाड़ रही है। रेलवे ने एक बार फिर स्मरण पत्र भेजते हुये
कार्रवाई आगे बढ़ाने को कहा है।
शहर का आकार बढ़ रहा है। सड़क पर वाहनों की रेललपेल बढ़ने से जैम की
समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग शिवपुरी के
सीपरी बाजार में सड़क के सिकुड़ने और अनियंत्रित यातायात के चलते वहां हर पल
जैम के हालात बन जाते है।
हालांकि सीपरी बाजार में जैम की समस्या से निपटने के लिये बीते दिनों
प्रशासन ने बैठक कर ओवर ब्रिज के निर्माण को लेकर सभी विभागों से स्टीमेट
मांगा था। इसके बाद विद्युत, वन, पुल व अन्य विभागों ने सर्वे कर अपनी
रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी। बताते है कि ब्रिज के निर्माण में करीब 67
करोड़ रुपये के खर्च होने का अनुमान आंका गया था। इसमें रेलवे का खर्चा अलग
है। प्रशासन ने ब्रिज के निमाण में रेलवे से सहयोग के लिये वार्ता की थी,
क्योंकि पुल के ऊपर से निकली विद्युत लाइन निर्माण के दौरान सबसे बड़ी बाधा
बनेगी। सूत्रों का कहना है कि रेल प्रशासन ने ओवर ब्रिज बनाने
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झांसी। झासी महोत्सव के अंतिम दौर में
बुन्देली मंच पर बुन्देली विद्याओं की रगत गहरा गई है। सातवें दिन गोरी
नैंना न मार-गौरी नैना न मार बोल पर मऊरानीपुर के रघुवीर सिंह यादव एण्ड
पार्टी का राई, लागुरिया बड़ो होशियार, पानी में रेल चलावे बोलों पर
हरविन्दर नीरज तालपुरा का रावला व ओरछा में विराजे राजा राम के बोल पर
बेवी इमरान व साथी नई बस्ती का ढिमरयाई नृत्य ने दर्शकों को झूमने पर
मजबूर कर दिया।
इस दौरान गुरसराय के राधे लाल द्वारा मत करियो काऊ से रार पर विलवारी,
गुरसराय के अरविन्द बुन्देला द्वारा ककना गड़ वादों सोने के घना मानो बोलों
के माध्यम से लेद विद्या प्रस्तुत की। मोंठ के अर्जुन ¨सह व बामौर के
इन्द्रपाल ¨सह, श्याम लता सक्सेना झासी, कुसुम लता घाटकोटरा, निशा शिवरजनी
द्वारा विविध मौकों पर प्रस्तुत की जाने वाली गारी गायी गई। बामौर के
किशोरी वर्मा ने देवी गीत-माई के द्वारे एक दुखिया..., बामौर के ही
राजाराम द्वारा फाग, पुलिया नम्बर 9 के नरेश कुमार निगम द्वारा चौकड़िया,
बंगरा के पंचम लाल कुशवाहा द्वारा कछियाई की प्रस्तुतियों पर खूब वाह-वाही
मिली।
कार्यक्
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झांसी। नगर निगम के सभाकक्ष में व्यापारियों
और अधिकारियों की बैठक मेयर डॉ. बी. लाल की अध्यक्षता में हुई। इसमें
पॉलीथिन से होने वाले नुकसानों के बारे में बताते हुए, इस समस्या से
निपटने के उपाय सुझाए गए और इस पर रोक लगाने की रणनीति तय की।
इस मौके पर व्यापारी नेता संजय पटवारी ने जनचेतना के लिए रैली निकाले
जाने का सुझाव देते हुए कहा कि इसमें सभी स्वयं सेवी संगठनों, क्लब व
स्कूली बच्चों को शामिल किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने बाहर से आ रही
चाइनीज पॉलीथिन के आयात पर रोक लगाने की बात कही। एक व्यापारी ने कहा कि
पॉलीथिन पर मानक और निर्माता का नाम लिखवाया जाए, ताकि जो मानक के विपरीत
पॉलीथिन का उत्पादन कर रहे है, वह पकड़े जा सके। प्लास्टिक असोसिएशन के
अध्यक्ष राजेश बिरथरे ने कहा कि पहले भी इस पर चर्चा हो चुकी है। झाँसी के
व्यापारी मानक का पूरा पालन कर रहे है, जिसके लिए उनको प्रमाण-पत्र भी दिए
जा चुके है। उन्होंने दावा किया कि झाँसी की कोई भी प्लास्टिक फैक्ट्री 20
माइक्रॉन से कम पन्नी का उत्पादन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि पतली
पन्नी के व्यापारी अलग है, जो बाहर
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झांसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में चलने
वाले विभिन्न पाठ्यक्रमों के घाटे में जाने से आय तो प्रभावित हो ही रही
है, उनके अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडराने लगे है। भविष्य में उनका
क्या होगा? ये तो अधिकारी ही जाने, फिलहाल विश्वविद्यालय के कमाऊ साबित
होने वाले विभागों ने अपनी आय को दर्शाने के लिए अलग खाता खुलवाने की मांग
की है।
बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में लगभग प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में
वहां संचालित होने वाले दर्जन भर पाठ्यक्रमों की आय का हिसाब-किताब सामने
आ जाता है। विभिन्न व्यवहारिक परेशानियों के बावजूद पाठ्यक्रम तो संचालित
हो रहे है, मगर छात्रों में उनके प्रति दिलचस्पी न होने के कारण सबसे
ज्यादा प्रभाव उनकी वार्षिक आय पर पड़ता है। इसका खामियाजा तो ऐसे तो
विभागों को भुगतना ही पड़ता है, मगर अब उनके अस्तित्व पर ही संकट के बादल
मंडराने वाली स्थित आन पड़ी है। गौरतलब है कि स्ववित्त पोषित योजना के तहत
संचालित होने वाले फार्मेसी व इंजीनियरिंग विभागों से ही विश्वविद्यालय को
सबसे ज्यादा आय होती है। छात्रों में इनके प्रति दिलचस्पी भी है। इसलिए
इनमें प्रवेश
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झांसी। 'स्थिर विकास के लिए पर्यावरण,
प्राकृतिक संसाधनों एवं आर्थिक स्त्रोतों में अन्तर्सम्बन्ध होना आवश्यक
है। पर्यावरणीय व्यवस्था आर्थिक व्यवस्था को प्रभावित करती है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थिर विकास के लिए आवश्यक है कि यहां के लोग
विकास के मायने सही रूप में समझें।' उक्त उद्गार समाज कार्य विभाग, डॉ
बीआर अम्बेडकर समाज विज्ञान संस्थान, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा
'वूमेन वर्क्स हैल्थ इनीशिएटिव,' नई दिल्ली के सहयोग से कांफ्रेंस हॉल
में 'बुन्देलखण्ड क्षेत्र में आर्थिक एवं टिकाऊ विकास' विषय पर आयोजित एक
संगोष्ठी के दौरान कुलपति प्रोफेसर एसवीएस राना ने व्यक्त किए।
प्रारम्भ में समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरवी सिंह ने सभी
आगन्तुकों का स्वागत करते हुए कहा कि आज के परिवेश में टिकाऊ विकास सबसे
बड़ी आवश्यकता है। वूमेन वर्क्स हैल्थ इनीशिएटिव की सचिव अमिता सहाय ने
संगोष्ठी के उद्देश्यों से अवगत कराते हुए कहा कि संस्था का प्रयास
बुन्देलखण्ड के लोगों के सहयोग से यहां व्याप्त कुरीतियों से उत्पन्न होने
वाली समस्याओं को दूर कराना है। इस मौके पर स्वीडन
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झांसी। राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन योजना के
तहत बनाए गए सामुदायिक तालाबों के निरीक्षण के लिए प्रमुख सचिव ग्राम
विकास व उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्रीकृष्ण के निर्देशानुसार दो
दिवसीय निरीक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत अपर निदेशक (निदेशालय लखनऊ)
राजापाल सिंह व राष्ट्रीय विकास योजना कार्यक्रम, लैण्ड स्केप आर्किटेक्ट
व मनरेगा के नोडल ऑफीसर डॉ. सर्वेश कुमार ने संयुक्त रूप से बरुआसागर के
फुटेरा स्थित गणेश बाग में दैनिक जागरण की स्वयंसेवी संस्था 'आस्था'
द्वारा निर्मित कराए गए तालाब का निरीक्षण किया।
उन्होंने 'आस्था' संस्था के महासचिव प्रवीण लिटौरिया व सदस्य विजय
कुमार दुबे द्वारा तालाब के आसपास लगभग दस हेक्टेयर क्षेत्र में कराए गए
पौधारोपण का भी निरीक्षण किया और प्रशंसा की। पौधारोपण में अमरूद, आंवला,
नींबू आदि प्रजातियों के पौधों को महत्व दिया गया। इस मौके पर अपर निदेशक
राजापाल सिंह ने ग्रामीणों को तालाब से होने वाले लाभ की जानकारी दी।
उन्होंने किसानों का बागवाली के प्रति ध्यानाकर्षण कराते हुए इससे होने
वाले लाभों से भी अवगत कराया। उन्होंने पपीता की खेती पर जोर दिय
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झांसी। सहरिया आदिवासियों ने आज रैली कर
अधिकार व सम्मान दिलाने के लिए मध्यप्रदेश की तरह जनजाति का दर्जा व
आरक्षण दिलाने की मांग की। इसके पहले आदिवासियों ने बस स्टैण्ड से कचहरी
के बीच जुलूस निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया। आदिवासियों ने उप जिलाधिकारी
के सामने जनपद में जमीन के पट्टें व राशन सामग्री नहीं मिलने का मुखर
विरोध किया।
एकता परिषद के तत्वावधान में बुन्देलखण्ड के सहरिया आदिवासियों ने आज
जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। शिक्षा भवन परिसर में हुई सभा में सहरिया
समाज के गोपाल सहारिया, भागीरथ व मेवा ने आपबीती सुनाते हुए कहा सहरिया
समाज को सम्मान व पहचान के साथ जनजाति का दर्जा भी हासिल नहीं है। सभा को
सम्बोधित करते हुए एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. रनसिंह परमार ने
कहा कि समाज के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को महसूस कर उन्हे इज्जात के साथ
रोटी की गारण्टी सरकार व समाज को लेना होगा। सहरियों को जीवन जीने के
बुनियादी संसाधनों जल, जंगल जमीन से बेदखली और विस्थापन का खेल बन्द करना
ही पड़ेगा। अन्याय व जुल्म के खिलाफ अब सहरिया समाज को संगठित होकर लड़ाई
लड़नी पड़ेगी। सभा
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झांसी। बेरोजगारी के मारे राज्य स्तरीय
प्रतियोगिताओं तक में शिरकत कर चुके खिलाड़ी महज पांच सौ रुपये प्रति माह
पर नौकरी करने को मजबूर है। यह तस्वार है ग्रामीण स्तर पर खेल को बढ़ावा
देने के लिये केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल
अभियान योजना यानि पाइका की। इस योजना के तहत जिले में वित्तीय वर्ष में
कुल ग्राम पंचायतों की दस फीसदी ग्राम पंचायतों में मांग के अनुरूप खेल का
मैदान, एक क्षेत्र पंचायत में स्टेडियम आदि विकसित किया जाना है। इसमें
प्रति ग्राम पंचायत एक लाख रुपये तक खर्च होने है। जिले में 44 ग्राम
पंचायतों का चयन किया गया है। ये सभी वर्ष 2008-2009 के तहत चयनित की गयी
ग्राम पंचायतें है। अब तक इन ग्राम पंचायतों के लिये पचास हजार रुपये
प्रति ग्राम पंचायत बजट आ सका है। इन ग्राम पंचायतों में खेल प्रतिभाओं को
तराशने के लिये क्रीड़ा श्री की नियुक्ति की गयी है और वह भी पांच सौ रुपये
प्रति माह पर। कुल 44 ग्राम पंचायतों में सिर्फ 33 ग्राम पंचायतों में ही
जिला युवा कल्याण विभाग यह नियुक्तियां कर सका है।
जिला युवा कल्याण विभाग की अलमारियों म
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