झांसी। बेरोजगारी के मारे राज्य स्तरीय
प्रतियोगिताओं तक में शिरकत कर चुके खिलाड़ी महज पांच सौ रुपये प्रति माह
पर नौकरी करने को मजबूर है। यह तस्वार है ग्रामीण स्तर पर खेल को बढ़ावा
देने के लिये केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी पंचायत युवा क्रीड़ा एवं खेल
अभियान योजना यानि पाइका की। इस योजना के तहत जिले में वित्तीय वर्ष में
कुल ग्राम पंचायतों की दस फीसदी ग्राम पंचायतों में मांग के अनुरूप खेल का
मैदान, एक क्षेत्र पंचायत में स्टेडियम आदि विकसित किया जाना है। इसमें
प्रति ग्राम पंचायत एक लाख रुपये तक खर्च होने है। जिले में 44 ग्राम
पंचायतों का चयन किया गया है। ये सभी वर्ष 2008-2009 के तहत चयनित की गयी
ग्राम पंचायतें है। अब तक इन ग्राम पंचायतों के लिये पचास हजार रुपये
प्रति ग्राम पंचायत बजट आ सका है। इन ग्राम पंचायतों में खेल प्रतिभाओं को
तराशने के लिये क्रीड़ा श्री की नियुक्ति की गयी है और वह भी पांच सौ रुपये
प्रति माह पर। कुल 44 ग्राम पंचायतों में सिर्फ 33 ग्राम पंचायतों में ही
जिला युवा कल्याण विभाग यह नियुक्तियां कर सका है।
जिला युवा कल्याण विभाग की अलमारियों में क्रीड़ा श्री बनने के लिये
आये आवेदन बंद है। इन दस्तावेजों में कई अभ्यर्थी तो ऐसे है, जिन्होंने
विभिन्न खेलों में राज्य तक का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन खिलाड़ियों के
प्रति सरकार के उदासीन रवैये से उन्हे जीविकोपार्जन का कोई साधन नसीब नहीं
हुआ। महंगाई के इस दौर में इस मेहनताने में क्रीड़ा श्री अपने खेल के जूते
भी नहीं खरीद सकते, लेकिन सरकार की मंशा है कि वे देश को सचिन, सानिया और
बाइचुंग भूटिया जैसे खिलाड़ी दें।
बताते चलें कि क्रीड़ा श्री की नियुक्ति के लिये सरकार द्वारा तय की
गयी अर्हता में जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व होना तथा
दसवीं पास होना अनिवार्य किया गया था, लेकिन क्रीड़ा श्री के लिये तो पोस्ट
ग्रेजुएट से लेकर बीपीएड और सीपीएड का डिप्लोमा लिये अभ्यर्थियों तक ने
आवेदन किया।