झांसी। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के निदेशक आरडी चन्द्रहास ने
समीक्षा के दौरान जल निगम, पंचायतराज, वन, जिलापूर्ति आदि विभागों में
अनुसूचित जाति के हितों की योजनाओं में गड़बड़ियों को उजागर किया। उन्होंने
अफसरों को आड़े हाथों लेते हुए अनुसूचित जाति के हितों की रक्षार्थ
शासनादेशों के अन्तर्गत कार्रवाई नहीं करने व धन का अपव्यय करने पर दण्डित
करने की चेतावनी दी।
आयोग के निदेशक ने गाधी सभागार में विविध विभागों की समीक्षा करते हुए
शासनादेशों को फाइलों में दफ्न नहीं कर उसके अनुरूप कार्य करने का पाठ
पढ़ाया। उन्होंने वर्ष 2007-08 व 08-09 में अनुसूचित जाति उत्पीड़न प्रकरण
में आर्थिक सहायता वितरण की समीक्षा करते हुए कई प्रकरणों में एफआईआर व
आरोप पत्र प्रस्तुत करने के मध्य का अन्तराल 3 माह से भी अधिक मिलने पर
एफआर लगाने में सावधानी बरतने के निर्देश दिए। उन्होंने पीड़ित के पक्ष में
मुकदमा नहीं होने पर आर्थिक सहायता मुद्दे पर स्पष्ट किया कि जिनमें
अनुसूचित जाति अत्याचार सम्बन्धी धारा 3 1 11 व 3 1 12 लगी हैं उनमें पीड़ित
के पक्ष में मुकदमे का निस्तारण होना जरूरी नहीं अपितु मुकदमे मात्र की
विचारणा की समाप्ति के बाद ही वाछित शेष राशि भुगतान होना अनिवार्य है।
उन्होंने ऐसे सभी प्रकरणों में नियमानुसार आर्थिक सहायता दिलाने के निर्देश
दिए।
उन्होंने प्रदेश शासन के गजट 10 अक्टूबर 05 के अनुसार 16 पिछड़ी जातियों
के अनुसूचित जाति में स्थानातरण के कारण निर्गत जाति प्रमाण पत्रों के
निरस्तीकरण की प्रक्रिया को जिले में अपर्याप्त बताया। उन्होंने कहा कि जब
तक सम्बन्धित लेखपाल के माध्यम से नोटिस देते हुए मूल प्रमाण पत्रों की
वापसी नहीं होती तथा उसके आधार पर विज्ञापन देते हुए अभिलेखों में
निरस्तीकरण नहीं की जाती तब तक ऐसे निर्गत जाति प्रमाण पत्रों के दुरुपयोग
की सम्भावना बनी रहती है। उन्होंने ऐसे समस्त मूल प्रमाण पत्र वापिस करने
के निर्देश दिए।
उन्होंने एससीपी के अन्तर्गत अधिष्ठापित हैण्ड पम्पों की प्रगति का
प्रतिशत मानक से अत्यधिक कम पाए जाने पर जल निगम के अधिकारी को चेतावनी दी
कि शासनादेशों का पालन नहीं करने पर जेल हो सकती है। उन्होंने मानकों के
अनुरूप विगत वर्षो के बैकलॉग को पूरा कराने के निर्देश दिए। पंचायत राज
विभाग द्वारा एससीपी के अन्तर्गत दो वर्षो में निर्मित पंचायत भवनों की
समीक्षा में बताया कि कई प्रकरणों में संयुक्त दीवार का भुगतान अतिरिक्त कर
दिया गया है। उन्होंने इसका परीक्षण करने पर जोर दिया।
निदेशक ने पूर्ति विभाग द्वारा विकास खण्ड वार उचित दर की दुकानों के
आवंटन में अनुसूचित जाति के दुकानदारों का प्रतिशत मानक के अनुरूप पाया,
किन्तु इसमें छद्म कोटेदारों की घुसपैठ से हो रहे अनुसूचित जाति के हितों
पर कुठाराघात पर चिन्ता व्यक्त की और फर्जी के विरुद्ध विशेष अभियान चलाने
के निर्देश दिए।
वन विभाग द्वारा एससीपी में दो वर्षो में कराए गए कार्यो की प्रगति
सम्बन्धी आकड़ों की पुन: जाच, मस्टर रोल की जाच करते हुए उनकी समस्त
प्रविष्टियों को पूर्ण करने तथा अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के चिन्हाकन
हेतु अधिक पारदर्शी व्यवस्था अपनाने पर बल दिया।
निदेशक ने अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने व मिड-डे
मील में मेन्यू के अनुसार भोजन की व्यवस्था हेतु रेण्डम चेकिंग करने के
निर्देश दिए। अनुसूचित जाति वित्त व विकास निगम लि. द्वारा संचालित स्वत:
रोजगार योजना में वर्ष 07-08 व 08-09 बैंक शाखाओं द्वारा ऋण हेतु आवेदन
पत्रों के सापेक्ष स्वीकृति का प्रतिशत कम मिलने पर स्पष्ट किया कि जिस
शाखा में आवेदन पत्र प्रेषित किए जाते है उसे उनके निरस्त करने का अधिकार
नियमानुसार नहीं है। रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार बैंकों द्वारा शाखा में
आवेदन पत्र प्रस्तुत होने के 14 दिन में स्वीकृति की कार्रवाई कर देना
चाहिए अन्यथा की स्थिति में क्षेत्रीय कार्यालय से ही समुचित कारण के आधार
पर निरस्तीकरण की कार्रवाई की जा सकती है। अपर जिलाधिकारी एनसी श्रीवास्तव
ने निर्देशों का पालन करने की अपील की। इस दौरान विविध विभागों के अधिकारी
उपस्थित रहे।