झांसी। झासी महोत्सव के अंतिम दौर में
बुन्देली मंच पर बुन्देली विद्याओं की रगत गहरा गई है। सातवें दिन गोरी
नैंना न मार-गौरी नैना न मार बोल पर मऊरानीपुर के रघुवीर सिंह यादव एण्ड
पार्टी का राई, लागुरिया बड़ो होशियार, पानी में रेल चलावे बोलों पर
हरविन्दर नीरज तालपुरा का रावला व ओरछा में विराजे राजा राम के बोल पर
बेवी इमरान व साथी नई बस्ती का ढिमरयाई नृत्य ने दर्शकों को झूमने पर
मजबूर कर दिया।
इस दौरान गुरसराय के राधे लाल द्वारा मत करियो काऊ से रार पर विलवारी,
गुरसराय के अरविन्द बुन्देला द्वारा ककना गड़ वादों सोने के घना मानो बोलों
के माध्यम से लेद विद्या प्रस्तुत की। मोंठ के अर्जुन ¨सह व बामौर के
इन्द्रपाल ¨सह, श्याम लता सक्सेना झासी, कुसुम लता घाटकोटरा, निशा शिवरजनी
द्वारा विविध मौकों पर प्रस्तुत की जाने वाली गारी गायी गई। बामौर के
किशोरी वर्मा ने देवी गीत-माई के द्वारे एक दुखिया..., बामौर के ही
राजाराम द्वारा फाग, पुलिया नम्बर 9 के नरेश कुमार निगम द्वारा चौकड़िया,
बंगरा के पंचम लाल कुशवाहा द्वारा कछियाई की प्रस्तुतियों पर खूब वाह-वाही
मिली।
कार्यक्रम में कलाकारों के गायन में बुन्देली कवियों व परिधान की कमी
खटकने पर हरगोविन्द कुशवाहा एडवोकेट ने भविष्य के कार्यक्रमों में
पारम्परिक वेषभूषा में एवं गायन में कवि ईसुरी, राय प्रवीन, गंगाधर व्यास
आदि की प्रस्तुतियों को शामिल करने के साथ निर्णायक मण्डल का दायित्व भी
बुन्देली विद्या के जानकारों को सौंपने की अपील की। प्रारम्भ में
कार्यक्रम का शुभारम्भ बद्री प्रसाद परदेशी व एसीएमओ डा. एमएल वर्मा ने
किया। कार्यक्रम का चुटीला संचालन पन्नालाल असर व बनमाली वर्मा ने किया।