Bundeli Gaurav |
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Website Launch on 28.01.2010 at IIC, New Delhi |
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EDITORIAL |
Shri Jagannath Singh, I.A.S.(Retd.) |
अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम परिवार के सदस्यों को "रामनवमी" की शुभकामनायें। राम जिन्होंने बुंदेलखंड के चित्रकूट क्षेत्र में संकल्प लिया कि "निश्चर हीन महि करूँ , भुज उठाहि प्रण (Read More)
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Home » Hamirpur
हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। शहर हमीरपुर के
निरक्षरों को साक्षर, स्वस्थ, रोजगार परक बनाने की मंशा से आयी इलाहाबाद
की शिक्षण परियोजना की समन्वयक मंजू पाल ने कहा कि हमीरपुर के जिलाधिकारी
का सपना है कि हमीरपुर से निरक्षरता दूर हो और हर व्यक्ति स्वस्थ और सभी
रोजगार परक बने। इसलिए मुझे आप लोगों के साथ काम करने की जिम्मेदारी सौंपी
गयी है और मैं चाहूंगी कि आप लोग मेरा हर तरह से सहयोग करें।
बैठक में 17 फरवरी को प्राइमरी स्कूल यमुना घाट में स्वास्थ्य शिविर
को लगाकर निरक्षरों को साक्षर करने के अभियान की जानकारी दी जायेगी।
उन्होंने नौजवानों से आवाहन करते हुए कहा कि शिक्षण परियोजना से जुड़ने
वाला हर साथी निष्ठा पूर्वक काम करते हुए जिलाधिकारी का सपना पूरा करने
में आगे आये। मंजू पाल ने बताया कि निरक्षरों को साक्षर करते हुए शहर के
लगभग आधा दर्जन स्थानों पर जिलाधिकारी द्वारा स्वास्थ शिविरों के जरिए
जिले की जनता का स्वास्थ्य परीक्षण कराते हुए हर संभव मदद की जायेगी तथा
शहर की निरक्षर महिला व पुरुषों को रोजगार से जोड़ने के लिए स्वरोजगार परख
प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जायेंगे, ता
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। जिलाधिकारी
श्रीनिवासु ने कहा कि क्षेत्र के पिछड़ेपन का मुख्य कारण अशिक्षा है। इसलिए
साक्षरता को बढ़ाये बिना हम जीवन में कामयाब नहीं हो सकते है। वह हमीरपुर
मुख्यालय में पुराने यमुना घाट में स्वास्थ्य शिक्षा शिविर में बोल रहे
थे।
शिक्षित नगर, स्वस्थ नगर जैसी स्वप्निल परियोजना के शुभारंभ के मौके
में उन्होंने कहा कि शिक्षा से स्वास्थ और स्वास्थय से लक्ष्य में सफलता
पायी जा सकती है। विशेषकर महिलाओं को साक्षर बनाना हर पढ़े लिखे की
जिम्मेदारी है। इसलिए प्रत्येक शिक्षित नागरिक का दायित्व है कि वे उन दबे
कुचले अशिक्षित और अज्ञानियों को साक्षर कर नगर को माडल रूप में बनायेंगे।
नगर में इनकी संख्या 4 हजार से अधिक नहीं है। जिलाधिकारी का मानना है कि
50 हजार की आबादी वाले नगर में 4 हजार अशिक्षितों की संख्या अधिक नहीं है।
चंदसमय में निरक्षरता के कलंक को नगर से मिटाकर प्रदेश में एक आदर्श नगर
के रूप में पहचान दी जा सकती है। क्योंकि स्वच्छता से स्वस्थ्यता और
स्वस्थ व्यक्ति में लक्ष्य भेदने की क्षमता होती है। यही सफलता की कुंजी
है। नगर के 25 वार्डो म
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। हमीरपुर जिला पिछले पांच सालों से दैवी आपदा
से जूझ रहा है। यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधाने के लिए
वैज्ञानिकों की राय है कि वे बागवानी, सगंधीय और औषधीय खेती के साथ पशुपालन
करें, तो उनकी तकदीर बदल जायेगी।
पिछले पांच साल से जहां खरीफ की फसल वर्षा, बाढ़ व समय से बारिश न होने
के कारण नहीं हो सकी है। वहीं रबी की फसल तैयार होने पर बारिश व ओले ने
चौपट कर दिया है। जिससे किसान का आर्थिक ढांचा चरमरा गया है। कृषि
वैज्ञानिक डा. सी के राय का मानना है कि किसान खेती के साथ पशुपालन करे, तो
उसे दूध तो मिलेगा ही, उसके गोबर से वह जैविक खाद बना लेगा। जिसके लिए उसे
अतिरिक्त धन नहीं खर्च करना पड़ेगा। दूध से अतिरिक्त आय के साथ घर का
स्वास्थ्य भी बनेगा। डा. एस पी सोनकर का मानना है कि अगर किसी कारण से फसल
खराब होती है, तो उसकी भरपाई वह पशुपालन से कर सकता है। पशुपालन किसान की
अतिरिक्त आय का साधन है। उपनिदेशक कृषि उमेश कटियार का कहना है कि खेती के
साथ बागवानी, सगंधीय व औषधीय खेती से किसान को अतिरिक्त आमदनी का जरिया
बनता है, मगर दैवी आपदा
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण
फसलों को नुकसान हुआ है, वहीं ठंड फिर वापस लौट आयी है। जिले में 17 मिमी
वर्षा रिकार्ड की गयी है। पूर्व प्रधान हरविशाल साहू, शिवदयाल सचान बताते
हैं कि बारिश से दलहनी, तिलहनी फसल को अधिक नुकसान हुआ है। गेहूं को छोड़कर
सभी के लिय यह पानी हानिकारक है।
गौरतलब है कि यहां का किसान पिछले पांच साल से दैवीय आपदा से जूझ रहा
है। मौदहा में बारिश से किसान बेचैन है। पुरवाई चलने से चने की फसल में रोग
लगने की आशंका है, वहीं खेत गीले होने से तेज हवाओं के चलते फसलें खेत में
बिछ गयी हैं। सत्ते महाराज का कहना है कि फसल को देखकर खुशी थी, मगर इस
बरसात ने बर्बाद कर दिया है। सरीला में बीती रात तेज हवाओं के चलने से
फसलें बिछ गयी हैं। क्षेत्रीय किसानों ने 50 फीसदी से अधिक फसल नुकसान होने
की आशंका जतायी है। कई दिनों से चल रही पछुआ हवाओं ने जमकर कहर बरपाया।
जिससे दलहन तिलहन का उत्पादन प्रभावित होगा। महिपाल सिंह का कहना है कि फूल
झड़े हैं, तो अरविंद कुमार का कहना है कि माहू का प्रकोप बढ़ेगा। जय नारायण
सिंह, र
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। नगर में बने इकलौते
पार्क सिटी फारेस्ट का हाल बड़ा ही बुरा है, जिसका धीरे-धीरे अस्तित्व
समाप्त होता जा रहा है, मगर विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है कि इस
पार्क को सुंदरीकरण कराकर पर्यटक स्थल का रूप दिया जा सके।
नगर का इकलौता पार्क सिटी फारेस्ट मे कुछ वर्ष पूर्व बड़ा ही अच्छा व
शांतमय वातावरण रहता था, पार्क में फव्वारा, स्ट्रीट लाइट, झूला, बैठने की
उत्तम व्यवस्था व आर्टीफीशियल जानवरों के चित्र बड़े ही मनोहारी लगते थे।
लोग सुबह शाम टहलने अपने परिवार के साथ जाते थे, मगर आज की स्थिति बड़ी ही
दयनीय है, जहां प्रकाश के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है, स्ट्रीट लाइटें
टूटी पड़ी हुई हैं, जानवरों के चित्र क्षतिग्रस्त हो गये हैं। घड़ियाल पालन
के लिए बना जलगृह में घड़ियाल तो नहीं हैं, मगर उसमें एक बूंद पानी भी नहीं
है। झूले व छतरी भी क्षतिग्रस्त हैं, फव्वारा व वाटरकूलर शो पीस बने हैं।
लोगों को वहां पानी पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। कैंटीन के पास लगा एक
हैंडपंप ही लोगों के लिए एक सहारा है। पूरी तरह से टूट गये हैं। वर्ष 04
में पूर्व सांसद गंगाचरण राज
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। संसार में जन जन
में लोकप्रिय अयोध्या पति राम के चरित्र और उनकी लीलाओं को कौन नहीं
जानता। चाहे इंडोनेशिया में सुप्रसिद्ध बाली रामलीला हो या नेपाल और
मिथलांचल सुप्रसिद्ध रामखेलिया, दक्षिण भारत में कंबन रामायण पर आधारित
राम के चरित्र का नाद गायन, वादन हो। उसमें अपने देश प्रदेश की भाषा
संस्कृति को जननायक राम को आराध्य मानकर उकेरा गया है।
रचनायें प्रस्तुत की गयी हैं। इसी तरह बुंदेलखंड में भक्ति काल के
आंदोलन के महान संत तुलसी की रचना रामचरित मानस को और उनके आदर्श चरित्र
की अमिट छाप बुंदेलखंड में जन-जन में प्रतिष्ठित है। इस परंपरा को
बुंदेलखंड में गांव-गांव में रामलीला के माध्यम से इनके उपदेशों व कथनकों
की नाटय प्रस्तुति की जाती है। जो दशहरे से शुरू होकर चैत की राम नवमी तक
चलती है। वैसे फसल कटने के बाद भी गांवों में रामलीला का चलन है। नाटय
गायन लोक रंजन विविधताओं से भरे बुंदेलखंड में रबी की बुवाई के बाद से
रामलीला का मंचन शुरू हो जाता है। जो फसल की कटाई तक बराबर चलता रहता है।
बुंदेलखंड में रामलीला के प्रति समर्पित स्वर्गीय रा
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। कृषक प्रशिक्षण में डा. दिलीप राय अनमोल
ग्रामोद्योग संस्थान लखनऊ ने कहा कि बुंदेलखंड में सगंधीय व औषधीय खेती की
बहुत संभावनायें हैं। क्योंकि यहां ऊबड़-खाबड़ व असिंचित क्षेत्रफल अधिक है।
अन्ना प्रथा भी है। वे राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन कार्यक्रम के दो दिवसीय
चयनित किसानों के प्रशिक्षण में ग्राम्य विकास प्रशिक्षण संस्थान मौदहा के
सभागार में बोल रहे थे।
सगंधीय खेती से आमदनी बढ़ायें
उन्होंने कहा कि लेमन ग्रास, तुलसी, जिरेनियम, सतावर, पचौली,
सिट्रोनेला, फसलों की खेती समस्याग्रस्त भूमि में करके उत्पादन लिया जा
सकता है। खाद्यान्न फसलों की तुलना में प्रति एकड़ आमदनी इसमें अधिक है।
सगंधीय पौधों और औषधीय पौधों का फसल चक्र, मिश्रित खेती करके अधिक लाभ
कमाने का माडल बताया। फल संरक्षण अधिकारी बी के मिश्रा ने आंवले का अचार व
मुरब्बा बनाने की विधि बतायी। उन्होंने किसानों से कहा कि अपने फल का
उत्पादन करके सीधे न बेचें, बल्कि प्रसंस्करण करके बेचें, तो अधिक मुनाफा
कमा सकते हैं। सिरका, जैली, चटनी, अचार बनाने का प्रशिक्षण फल संरक्षण
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। हमीरपुर के सपा विधायक अशोक चंदेल को सपा सुप्रीमो
मुलायम सिंह यादव ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पार्टी से निलंबित
कर दिया है। इस पर अशोक चंदेल ने फोन पर बताया कि समाजवादी पार्टी अब
परिवारवादी पार्टी बन गयी है। ऐसे में कौन पार्टी में रहना चाहेगा। जब
दुकान ही खाली है, तब वहां झाडू़ लगाने कौन जायेगा। उन्होंने अपनी अगली
रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि वे अमर सिंह के साथ 100 फीसदी जायेंगे।
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी अब व्यक्तिवादी व घरेलू हो गयी है। जिसमें
घुटन महसूस हो रही थी। फिर भी हम पार्टी में रहे। सपा विधायक अशोक चंदेल
का कहना है कि समाज की लड़ाई तो अब अमर सिंह लड़ रहे हैं। वे उनके साथ रहकर
आगे की रणनीति तय करेंगे। सपा के जिलाध्यक्ष ज्ञान सिंह यादव का कहना है कि
अशोक चंदेल को पार्टी से निलंबित किया गया है। जिस पार्टी ने उन्हें
विधायक बनाया, उसी के खिलाफ एमएलसी के चुनाव में बसपा प्रत्याशी का खुला
चुनाव प्रचार किया। उन्हें तो नैतिकता में पार्टी से अपने को अलग कर लेना
चाहिए था। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने निर्णय देर से लिया, जबकि यह बहुत
प
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। दलहनी फसलों, गेहूं के विकास के लिए भीषण ठंड में
कुरारा विकासखंड के दूरदराज के गांव देवीगंज, बेरी, करियापुर, ककरऊ में
फार्मस फील्ड स्कूल चल रहे हैं। इनके जरिये किसानों को लहलहाती फसलों के
खेतों पर ही रोग और कीटों से सुरक्षा सहित अधिक उत्पादन लेने की तकनीकी
जानकारी कृषि वैज्ञानिकों और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के सलाहकार
संजीव कुमार द्वारा दी जारही है। पिछले महीनों में इसी योजना में निशुल्क
गेहूं मिनी किट और गेहूं प्रदर्शनों के निवेश सहित अनुदान पर वितरित गेहूं
एवं दलहन तथा जिप्सम माइक्रोन्यूट्रीएन्टस जिंक का सत्यापन भी किया जाता
है। इससे किसानों में योजना के बारे में जानकारी मिलती ही है, कृषि विभाग
से मिलने की ललक भी दिखायी पड़ती है। योजना के संचालन से हो रहे लाभ को
उनकी लहलहाती फसलें और उनका आत्मविश्वास ही बताता है। अनुदान पर शीड ड्रिल
एवं नैपसेक स्प्रेयर भी उपलब्ध कराये गये हैं जिससे किसानों द्वारा अपने
अधिक क्षेत्रफल में समय से व तकनीकी आधार पर बोवाई की, जिससे अधिक उपज
होने की संभावना है। फार्मस फील्ड स्कूल में प्रति स्कूल 30 किसानों का
चयन किया गया है। इनके
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हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। बुंदेलखंड के
ग्रामीण जीवन को स्पंदित करनी वाली लोक संस्कृति आज भी गांव के किसान और
मजदूरों के बीच जिंदा है। इनका संरक्षण न होने से और प्रोत्साहन न मिलने
से अब यह कला वाद्य यंत्र और नृत्य विलुप्त होते जा रहे हैं। उदाहरण के
लिए एक लोक वाद्ययंत्र है-ग्यान्गा । पानी पीने वाले घड़े को चमड़े से मढ़कर
उसमें छेद करते थे, मोरपंख को उस छेद में गांठ लगाकर डाल देते थे, फिर पैर
से दबाकर लंबे पांव फैलाकर मोर पंख को खींचकर इसे बजाया जाता था, जिससे
अजीब सी धुन निकली थी।इसे बजाकर जंगल में खेतों में किसान गाते थे।
क्योंकि इसकी आवाज को सुनकर जंगली जानवर जो खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं,
भाग जाते थे। तेंदुआ भी इसकी आवाज को सुनकर दूर बैठा रहता था। इस प्रकार
खेत की रखवाली और लोकरंजन दोनों होते थे।
ढोलकर, मजीरा और तंबूरा के साथ शास्त्रीय और लोक ध्वनों को मिलाकर
कबीरी गायन किया जाता है, जिसमें ग्रामीण, मजदूर व किसान रात भर जागकर
निर्गुण गायन में मस्त होकर नाचते हैं। इसका ढोलक वादन भी बहुत कठिन है।
जिसे गांव का आदमी ही बजा पाता है। क्योंकि शास्त्रीय गायन व
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