अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम परिवार के सदस्यों को "रामनवमी" की शुभकामनायें। राम जिन्होंने बुंदेलखंड के चित्रकूट क्षेत्र में संकल्प लिया कि "निश्चर हीन महि करूँ , भुज उठाहि प्रण (Read More)
हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। हमीरपुर जिला पिछले पांच सालों से दैवी आपदा
से जूझ रहा है। यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधाने के लिए
वैज्ञानिकों की राय है कि वे बागवानी, सगंधीय और औषधीय खेती के साथ पशुपालन
करें, तो उनकी तकदीर बदल जायेगी।
पिछले पांच साल से जहां खरीफ की फसल वर्षा, बाढ़ व समय से बारिश न होने
के कारण नहीं हो सकी है। वहीं रबी की फसल तैयार होने पर बारिश व ओले ने
चौपट कर दिया है। जिससे किसान का आर्थिक ढांचा चरमरा गया है। कृषि
वैज्ञानिक डा. सी के राय का मानना है कि किसान खेती के साथ पशुपालन करे, तो
उसे दूध तो मिलेगा ही, उसके गोबर से वह जैविक खाद बना लेगा। जिसके लिए उसे
अतिरिक्त धन नहीं खर्च करना पड़ेगा। दूध से अतिरिक्त आय के साथ घर का
स्वास्थ्य भी बनेगा। डा. एस पी सोनकर का मानना है कि अगर किसी कारण से फसल
खराब होती है, तो उसकी भरपाई वह पशुपालन से कर सकता है। पशुपालन किसान की
अतिरिक्त आय का साधन है। उपनिदेशक कृषि उमेश कटियार का कहना है कि खेती के
साथ बागवानी, सगंधीय व औषधीय खेती से किसान को अतिरिक्त आमदनी का जरिया
बनता है, मगर दैवी आपदा आने से यह सभी प्रभावित होंगे। अगर पशुपालन किया
गया, तो उस पर दैवी आपदा का कोई असर नहीं पड़ेगा और किसान का आर्थिक ढांचा
नहीं चरमरायेगा। जिला विज्ञान क्लब के समन्वयक डा. जी के द्विवेदी भी इसी
मत के हैं। उन्होंने कहा कि किसान का पशुपालन से सीधा रिश्ता रहा है। नये
तरीके अपनाकर किसान ने पशुपालन से नाता तोड़ा और उसका नुकसान हुआ। अब समय आ
गया है कि वह खेती के साथ पशुपालन करे, तो उसे लाभ पहुंचेगा। पशुपालन के
लिए कई सरकारी योजनायें आ गयी हैं। जिसमें सरकार से अनुदान भी मिलता है।
जिसका लाभ किसानों को उठाना चाहिए।