हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)। कृषक प्रशिक्षण में डा. दिलीप राय अनमोल
ग्रामोद्योग संस्थान लखनऊ ने कहा कि बुंदेलखंड में सगंधीय व औषधीय खेती की
बहुत संभावनायें हैं। क्योंकि यहां ऊबड़-खाबड़ व असिंचित क्षेत्रफल अधिक है।
अन्ना प्रथा भी है। वे राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन कार्यक्रम के दो दिवसीय
चयनित किसानों के प्रशिक्षण में ग्राम्य विकास प्रशिक्षण संस्थान मौदहा के
सभागार में बोल रहे थे।
सगंधीय खेती से आमदनी बढ़ायें
उन्होंने कहा कि लेमन ग्रास, तुलसी, जिरेनियम, सतावर, पचौली,
सिट्रोनेला, फसलों की खेती समस्याग्रस्त भूमि में करके उत्पादन लिया जा
सकता है। खाद्यान्न फसलों की तुलना में प्रति एकड़ आमदनी इसमें अधिक है।
सगंधीय पौधों और औषधीय पौधों का फसल चक्र, मिश्रित खेती करके अधिक लाभ
कमाने का माडल बताया। फल संरक्षण अधिकारी बी के मिश्रा ने आंवले का अचार व
मुरब्बा बनाने की विधि बतायी। उन्होंने किसानों से कहा कि अपने फल का
उत्पादन करके सीधे न बेचें, बल्कि प्रसंस्करण करके बेचें, तो अधिक मुनाफा
कमा सकते हैं। सिरका, जैली, चटनी, अचार बनाने का प्रशिक्षण फल संरक्षण
हमीरपुर में देने की सुविधा है।
लोटनल से आउट सीजन की सब्जी लें
नर्सरी प्रभारी श्रीपाल वर्मा ने प्लास्टिक से लोटनल बनाने की विधि और
थैली भरकर बीज बोकर जमाव के लिए रखने की प्रक्रिया को विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि आउट सीजन की सब्जी के उत्पादन की पौध इस विधि से तैयार कर
रोपाई करके महंगे दामों में उत्पादन बेचकर अधिक लाभ कमा सकते हैं। पौधों के
नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण व मिट्टी के तापक्रम नियंत्रण को
प्राकृतिक और प्लास्टिक फिल्म द्वारा मलचिंग क्रिया की जानकारी दी। जिला
उद्यान अधिकारी एस के गुप्ता ने सब्जी पौधे अनुकूलन के बारे में बताया कि
पोली हाउस से निकाले गये पौधे तीन से 5 दिन सामान्य कमरे में, फिर चार दिन
आधी छाया में, फिर एक सप्ताह खुले वातावरण में रखकर रोपाई करें। दूर-दराज
क्षेत्रों में भेजने की सुगमता, पानी की कमी को सहन करने की क्षमता व रोग
कीटों से सहनशीलता आ जाती है।
औषधीय क्रांति का समय
प्रगतिशील उद्यानविद रामबाबू शिवहरे ने कहा कि औषधीय क्रांति का समय आ
गया है। पढ़ोरा की खेती से अच्छी आमदनी ली जा सकती है। जिला विज्ञान क्लब
के डा. जी के द्विवेदी ने कहा कि नीबू वर्गीय पौधों के बीज अधिक लंबी व घनी
फसलें जिसमें अधिक पानी लगता हो, बुवाई न करें। क्योंकि अधिक पानी से नीबू
का नुकसान होगा। सेवानिवृत्त उपायुक्त शुभकरण सिंह गौतम ने कहा कि फलदार
पौधों के नीचे 6 इंच गहराई की गुड़ाई करके जैविक उर्वरक डालकर पानी लगायें।
नीबू की जड़ों में जाला लग जाता है, उसे तोड़ दें। 100 ग्राम चूना को 10
किलोग्राम उपजाऊ मिट्टी में मिलाकर उस स्थान पर डाल दें, जिससे पौधे की फलक
बढ़ जायेगी। वार्षिक संतुलित उर्वरक डालने की मात्रा और तरीका बताया।
पानी की रिचार्जिग होगी
मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के अध्यक्ष एम हबीब खान ने कहा कि मानक के
अनुसार गड्ढा खोद कर सड़ी कंपोस्ट खाद, मिट्टी बालू को समभाग में मिलाकर
पीवीसी पाइप निकाल लें। इससे पौधों की जड़ों में सीधे पानी पहुंचेगा। रिसाव
कम होगा, पानी बर्बाद नहीं होगा। इस विधि से पानी की रिचार्जिग भी होगी।
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. एम के सिंह, डा. एस के सोनकर, डा.
जितेंद्र सिंह, डा. सी के राय ने किसानों को टिप्स दिये। अच्छे किसानों को
सम्मानित किया गया। संचालन रामसनेही साहू कर रहे थे।