झांसी। शहर में मेडिकल स्टोर संचालक 95
प्रतिशत दवायें बिना बिलों के धड़ल्ले से बेच रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग
के पास न तो इस प्रवृत्ति को रोकने के लिये कोई कार्ययोजना है और न ही
लोगों को जागरूक करने के लिये।
हर क्षेत्र की तरह दवा के क्षेत्र में भी माफिया सक्रिय है। बड़े
पैमाने पर नकली दवायें पकड़ी गयी है। कई बार मेडिकल स्टोर्स में छापे पड़ते
है। दवाओं के नमूने जब्त कर परीक्षण के लिये भेजे जाते है। शहर में खुले
सैंकड़ों मेडिकल स्टोर्स के माध्यम से लाखों की दवाओं की बिक्री होती है,
लेकिन कोई भी मरीज अथवा खरीददार को बिल देने की जेहमत नहीं उठाता, जबकि
नियमानुसार बिल ग्राहक को देना चाहिये। लोग भी इस दिशा में जागरूक नहीं
है। यही कारण है कि मेडिकल स्टोर्स के संचालक इसका भरपूर फायदा उठाते हैं
और मनमाने दामों पर दवाओं को बेचने में गुरेज नहीं करते। जाहिर सी बात है
कि दवा की खरीददारी में लोग उसके दामों को लेकर भी नुक्ताचीनी नहीं करते।
बिल न लेने की लोगों की आदत का फायदा नकली व एक्सपायर्ड डेट की दवाओं
को बेचकर भी उठाया जा रहा है। जाहिर सी बात है कि जब बिल नहीं होगा तो कोई
भी यह साबित नहीं कर सकता कि उसने अमुक मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीदी है
और यदि कहेगा भी तो मेडिकल स्टोर का संचालक बेहद आसानी के साथ यह कहकर
मुकर जायेगा कि ग्राहक ने उसकी दुकान से दवा नहीं खरीदी है। दरअसल,अधिकांश
दुकानदार अपनी मर्जी से हर रोज कुछ बिल बनाकर फाड़कर फेंक देते है,ताकि
किसी प्रकार की चेकिं ग में दिखा सकें कि बिल काटे जाते है।
मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि दवा विक्रेताओं को नियमानुसार बिल
देना चाहिये, ,लेकिन यदि वह नहीं देते है तो ऐसा कोई नियम नहीं है कि
उन्हे बाध्य किया जा सके। इसके लिये उपभोक्ताओं को जागरूक होना पड़ेगा।
हालांकि इसके लिये भी विभाग के पास कोई योजना नहीं है।