सागर. प्रदेश के मुख्य सचिव अवनि वैश्य का मानना है कि
बुंदेलखंड पैकेज के तहत सागर जिले के हिस्से में आए 500 करोड़ रुपए कम
नहीं है। यदि यह राशि ढाई वर्षो में विकास कार्यो पर खर्च हो जाए तो बड़ी
बात होगी। उन्होंने यह बात बुधवार को दोपहर कलेक्टोरेट सभाकक्ष में ढाई
घंटे तक संभागीय बैठक लेने के बाद यहां से प्रस्थान करते समय पत्रकारों से
कही। अधिकारियों से कहा समस्या हो तो बताएं - वे हेलीकॉप्टर से सुबह 9.55
बजे यहां आए।
सर्किट हाउस में 30 मिनट तक रुकने के बाद अपने काफिले के साथ वे
सभाकक्ष पहुंचे। 10.30 बजे कक्ष का गेट बंद होते ही बैठक शुरू हुई।
कमिश्नर एसके वेद, आईजी अन्वेष मंगलम् सागर सहित संभागके पांचों जिलों के
कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ और सीसीएफ ,डीएफओ से पहली बार सीधे मुखातिब
होते हुए उन्हांेने सवाल किया कि कोई समस्या हो तो बताएं। अधिकारी चुप
रहे।
भ्रष्टाचार पर पीड़ा जाहिर की
उन्होंने समाज में दिनों-दिन
बढ़ रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी पीड़ा जाहिर की और अधिकारियों से
अपने कामकाज में पारदर्शिता बनाए रखने की अपेक्षा की। पिछले दिनों मारे गए
छापों में प्रदेश के आला अफसरों के पास मिली बेनामी संपत्ति का जिक्र भी
बैठक में हुआ। शासकीय कार्यो और शिकायतों का त्वरित निराकरण किए जाने पर
जोर देते हुए बोले कि सभी विभागों के अधिकारी फील्ड में ज्यादा समय रहें
और जनता से रूबरू होकर उनकी अपेक्षाओं पर खरे उतरें।
सख्ती बरतें: भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर प्रदेश सरकार के इरादों को
स्पष्ट करते हुए श्री वैश्य ने कलेक्टरों से दो टूक शब्दों में कहा कि
भ्रष्टाचार की प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई एवं समीक्षा होना
चाहिए। इस कार्य में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। श्री वैश्य
वैसे तो बैठक के दौरान ज्यादातर समय गंभीर मुद्रा में दिखाई दिए लेकिन
भ्रष्टाचार के विषय पर कड़क लहजे में कहा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ चल
रहे विभागीय जांच के प्रकरणों को शीघ्र हल किया जाए।
मीडिया और जनसंपर्क अधिकारी भी बाहर
संभागीय समीक्षा बैठक में जनसंपर्क विभाग का पूरा अमला सभाकक्ष के बाहर
चहल कदमी करता रहा। किसी को अंदर झांकने का मौका नहीं दिया गया। प्रेस
फोटोग्राफर और इलेक्ट्रानिक मीडिया को फोटो खींचने के लिए बैठक में नहीं
जाने दिया गया। मीडिया ने यह शिकायत मुख्य सचिव से की तो उन्होंने कहा कि
किसी को भी सभाकक्ष में प्रवेश की मनाही नहीं थी । फोटो तो ले ही सकते थे।
जिला प्रशासन को इस बात को समझना चाहिए था।
सहमे हुए थे अधिकारी
प्रशासनिक जगत में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि मुख्य सचिव ने मुख्यालय पर
जाकर अधिकारियों को बुलाया और बैठक ली। मुख्य सचिव के इस नवीनतम प्रयोग से
कई अधिकारी सहमे हुए थे। बैठक की व्यवस्था इस प्रकार रखी गई थी कि कोई
अधिकारी सभाकक्ष में एक-दूसरे की तरफ ठीक तरह से देख भी नहीं सका। सब
अपने-अपने विभागों को लेकर चिंतित नजर आए। सभाकक्ष के बाहर भारी भीड़ लगी
हुई थी। कलेक्टोरेट में आने वाले लोगों में जिज्ञासा थी कि आज लाल बत्ती
की इतनी गाड़ियां क्यों खड़ी हैं। तहकीकात के लिए लोग कलेक्टर कार्यालय की
तरफ बढ़े।