अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम परिवार के सदस्यों को "रामनवमी" की शुभकामनायें। राम जिन्होंने बुंदेलखंड के चित्रकूट क्षेत्र में संकल्प लिया कि "निश्चर हीन महि करूँ , भुज उठाहि प्रण (Read More)
महोबा। अंधता निवारण महज स्वयं सेवी संस्थाओं पर आश्रित है। दस साल
पहले बेहतर चल रहा नेत्र चिकित्सालय अब शोपीस बनकर रह गया है। जिला
चिकित्सालय में नेत्र सहायकों की भारी फौज है। आपरेशन करने वाले कुशल
चिकित्सक के अभाव में यहां के हजारों लोग पड़ोसी जिलों की शरण लेने को
मजबूर है।
दस साल पहले मुख्यालय में बेहतर नेत्र चिकित्सालय हुआ करता था। जिला
चिकित्सालय विकसित होने के बाद इसमें न जाने क्या नजर लगी कि अब भवन के
अलावा यहां चिकित्सा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं रह गई। जिला चिकित्सालय
में प्राय: चिकित्सकों का टोटा बना रहता है। इसके चलते अंधता निवारण अभियान
महज स्वयंसेवी संस्थाओं तक सिमट कर रह गया है। कार्यक्रम प्रभारी डा लाखन
सिंह मानते है कि यहां लंबे समय से नेत्र सर्जन की तैनाती नहीं हुई है।
वर्तमान में तैनात एआर मिश्रा लेंस प्रत्यारोपण नहीं कर पाते। इस कारण
नेत्र रोगियों को आपरेशन के लिये स्वयं सेवी संगठनों पर आश्रित रहना पड़ता
है। वह बताते है कि सीताराम मेमोरियल नेत्र सोसाइटी इलाहाबाद, लोकार्पण
संस्थान महोबा, सतगुरु नेत्र चिकित्सालय चित्रकूट व राजाराम मेमोरियल
चित्रकूट के जरिये रोगियों के आपरेशन कराये जाते है। बताया कि अब तक जिले
में 2200 आपरेशन हो चुके है। जिला चिकित्सालय में आठ नेत्र सहायक तैनात है
पर कुशल नेत्र चिकित्सक के अभाव में इनकी तैनाती बेमानी ही साबित होती है।
बीसों वर्ष पूर्व पृथक से निर्मित नेत्र चिकित्सालय किन परिस्थितियों में
बंद हो गया। इसका वह कोई सीधा सा जवाब नहीं दे पाते। कहते है सारी
व्यवस्थाएं जिला चिकित्सालय में हो जाने के कारण शासन ने वहां नियुक्तियां
नहीं की। कुल मिलाकर जिले के नेत्र रोगियों को सरकारी तौर पर किसी तरह की
कोई बेहतर सुविधा नसीब नहीं हो पाती। मजबूरन हजारों लोगों को इसके लिये
पड़ोसी जिलों के चिकित्सालयों का सहारा लेना पड़ता है।