सागर. मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण
कंपनी ने डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन पर लगभग डेढ़
लाख रुपए का क्लैम ठोका है। कैंपस में पेड़ की डालियां कटवाने के दौरान
बिजली के तार टूटने और ट्रांसफॉर्मर खराब होने के एवज में बिजली कंपनी को
लगभग डेढ़ लाख रुपए का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई करने के लिए
विगत दिनों बिजली कंपनी के सहायक यंत्री सुधार की ओर से विवि प्रशासन को
एक नोटिस भेजा गया है।
नोटिस में कहा गया है कि 30 जनवरी को श्रीमान कसाना साहब (इंजीनियरिंग
विभाग के प्रभारी) के आदेशानुसार मजदूरों ने पेड़ काटते समय चालू बिजली
लाइन पर पेड़ की डालियां गिरा दी थीं। जिस कारण लाइन शॉर्ट सर्किट होने के
कारण कैंपस में स्थापित 100 केवी का ट्रांसफॉर्मर खराब हो गया। जिससे
बिजली प्रवाह भी बंद है। ट्रांसफॉर्मर बदलने के लिए कंपनी के नियमानुसार
ट्रासंफॉर्मर की राशि जमा करना होगी। जिसका प्राक्कलन स्वीकृत कराकर
भुगतान के लिए भेजा जा रहा है। भुगतान प्राप्त होने के बाद ही बिजली का
प्रवाह चालू किया जाएगा।
कंपनी के सहायक अधीक्षण यंत्री एआर वर्मा ने बताया कि लगभग डेढ़ लाख
रुपए का नुकसान हुआ है और यह राशि विवि प्रशासन से मांगी गई है। गौरतलब है
कि विवि के इंजीनियर विभाग के प्रभारी प्रो. आरएस कसाना के निर्देशन में
कैंपस में प्रमुख सड़कों के किनारे स्थित पेड़ों की कटाई-छटाई का कार्य
किया जा रहा है। जिसके तहत भाड़े पर कार्य करने वाले मजदूरों ने पेड़ों की
डालियां काटने के बहाने कुछ हरे-भरे पेड़ भी काट दिए थे। इसी कार्य के
दौरान एक पेड़ की डालियां बिजली के तारों पर गिर गई थीं। प्रो. कसाना
द्वारा विवि प्रशासन द्वारा पेड़ कटवाने और पौधे लगवाने के एवज में
भारी-भरकम राशि ली जा रही है। लेकिन इस राशि का भुगतान किस मद से किया जा
रहा है, यह बात कैंपस में चर्चा का विषय बनी हुई है। ट्री-गार्ड और संकेत
बोर्ड भी लगाए जा रहे हैं।
सुरक्षा का ख्याल नहीं
कैंपस के सौंदर्यीकरण के तहत पेड़ की कटाई-छटाई कराने के लिए विवि
प्रशासन द्वारा न तो निविदा बुलाई गईं और न ही प्रशिक्षित लोगों को यह
कार्य सौंपा गया। नतीजा यह हुआ कि यह कार्य करने वाले मजदूरों ने अपनी
मर्जी से ही पेड़ों की कटाई-छटाई शुरू कर दी। कैंपस में बिजली लाइन के
आसपास कई पेड़ लगे हैं। फिर भी इस दौरान सुरक्षा के इंतजामों का ख्याल
नहीं रखा गया। गौर समाधि स्थल से गल्र्स हॉस्टल, टीचर्स क्वार्टर की ओर
जाने वाले रास्ते पर जब कटाई-छाटाई का कार्य किया जा रहा था तो पेड़ की
कुछ डालियां बिजली के तारों पर गिर गई थीं। जिस कारण बिजली के तार आपस में
उलझ गए। चिंगारी निकलने के साथ ही तार टूट गए। इस दौरान गंभीर हादसा भी हो
सकता था।