उरई (जालौन)। महेबा ब्लाक के मुसमरिया गांव
में रविवार को समर्पण जन कल्याण समिति एवं बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच के
संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जन सुनवाई में दलितों को अधिकार दिलाने के
शासन व प्रशासन के दावे की कलई खुल गई। इसमें महिलाओं की भूमि हकदारी,
पट्टें, वरासतन इंद्राज व अवैध कब्जेदारी जैसे मुद्दों पर खुली चर्चा
हुयी। सुनवाई का काम छह सदस्यीय जूरी ने किया जिसमें एक राजस्व, तीन विधि
विशेषज्ञ व दो सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। आमंत्रित करने के बावजूद किसी
अधिकारी के न पहुंचने से कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाली महिलाएं गुस्से
में नजर आयीं। उन्होंने जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना देकर इस पर विरोध
प्रकट करने की बात कही।
कार्रवाई का संचालन बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच के संयोजक कुलदीप बौद्ध
ने किया। बिनौरा वैद की रामजानकी पत्नी स्व. रामबली ने बताया कि पिछले
27 वर्षो से उसकी बारह एकड़ जमीन पर गांव के दबंग का कब्जा है लेकिन
प्रशासन उसकी मदद नहीं कर रहा। मुसमरिया के रामदास ने उसे 1994 में पट्टे
में मिली दो एकड़ जमीन पर आज तक कब्जा न मिल पाने की शिकायत की। मुसमरिया
की ही सत्यवती, तारावती, साहवती, रजनी, महादेव, अर्चना, गुड्डी, मैना,
माया व रामजानकी ने बताया कि वर्ष 2005 में हदबंदी में निकली जमीन पर
पट्टे किये गये थे जिस पर उन्हे कब्जा नहीं दिया जा रहा। इसके अलावा गांव
में 85 एकड़ गांव समाज की जमीन पर पट्टें नहीं काटे जा रहे और एक एकड़ दलित
आबादी में दबंगों ने जबरन मंदिर बनवा दिया है जबकि दलित रहने को जगह न
होने से परेशान है।
कार्यक्रम में मनरेगा के भुगतान, बीपीएल कार्ड और पेंशन जारी करने में
धांधली आदि की भी शिकायतें गूंजी। समर्पण जन कल्याण समिति के निदेशक
राधेकृष्ण ने महिला किसानों की हकदारी के आरोह अभियान की जानकारी दी।
उन्होंने घोषणा की कि जन सुनवाई में आयी समस्याएं 11 फरवरी को झांसी में
मंडलायुक्त के सामने व 17 व 18 फरवरी को लखनऊ में राज्य शासन के
अधिकारियों के समक्ष उठायी जायेंगी। बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच के अध्यक्ष
बदन सिंह, भूमि अधिकार मंच की समन्वयक बिंदेश्वरी पटेल, बालादीन, रामशरण
चौधरी, अच्छनलाल भारती, पृथ्वीराज, रजनी, चंद्रमोहन, सरबती, सियाजानकी,
ज्ञानदेवी, उदयभान, नीलिमा, शीलिमा, रवींद्र आदि ने भी संबोधित किया।