अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम परिवार के सदस्यों को "रामनवमी" की शुभकामनायें। राम जिन्होंने बुंदेलखंड के चित्रकूट क्षेत्र में संकल्प लिया कि "निश्चर हीन महि करूँ , भुज उठाहि प्रण (Read More)
कुलपहाड़ (महोबा)। जिनके अंदर लगन होती है उनके लिये घर का आंगन भी
खेत और नर्सरी बन जाता है। आप मानें या न मानें लेकिन गोविंद सिंह के घर पर
आप यह अजूबा देख सकते है। उनके घर में चना, गन्ना, पपीता से लेकर गुलाब
गुलदाउदी की दसियों किस्में महका रही है। उन्होंने एक दो नहीं बल्कि दो सौ
से अधिक शो प्लांट लगा रखे है।
इसे गोविंद सिंह का प्रकृति प्रेम कहें या फिर उनके व्यक्तित्व का
हिस्सा। गोविंद वर्तमान में जूनियर हाईस्कूल सिरमौर में प्रधानाध्यापक है।
हाईस्कूल से लेकर बीएससी या फिर बीटीसी या बीएड गोविंद हमेशा अव्वल रहे है।
बेहद गरीबी में पले बढ़े गोविंद ने इसे कभी अपनी कमजोरी नहीं बनाया। बल्कि
शिक्षा को अपना संबल बनाया। अध्ययन उनकी साधना रहा है इसको इसी तथ्य से
समझा जा सकता है कि ग्रेजुएशन हो या फिर बीटीसी बीएड उन्होंने पूरा
विद्यार्थी जीवन कुर्ता पायजामा में गुजारा। वे कालेज भी कुर्ता पहनकर जाते
थे। गोविंद ने आंगन में अंगूर, अमरूद, संतरा व रतालू से लेकर बैंगन, टमाटर
आलू सब कुछ उगा रखा है। उनके यहां दस प्रकार के गुलाब, 15 प्रकार के
गुलदाउदी लगे है। जिनकी देखभाल वह स्वयं करते है। कविता लेखन भी उनका शौक
है। खंड काव्य नल दमयंती पूरा हो चुका है। इसके अलावा इन्होंने काव्य
कुसुमा, मजहर मंजरी कवितांजलि लिखी है। सुबह ठीक साढ़े 9 बजे स्कूल पहुंच
जाने वाले गोविंद सिंह जिले के उन चंद शिक्षकों में शुमार किये जाते है
जिन्होंने अपनी ड्यूटी में कभी कोताही नहीं बरती। बेकार समझकर फेंक दी गई
वस्तुओं को कलात्मक बनाने का हुनर भी उन्हें आता है। सीमेंट के गमले हो,
मूर्तिकला, आरती के लिये दीपक वे इतने खूबसूरत बनाते है कि सहज ही आकर्षक
का केंद्र न जाते है। बस थोड़ी कल्पनाशीलता व कुछ करने की ललक से आप भी
हुनर सीख सकते है। पेड़ पौधे उनके दोस्त है। खाली वक्त वे घरेलू बगिया में
देते है। उनका मानना है कि शुरूआत हमेशा छोटे-छोटे कदमों से होती है। लोग
जब गमलों में फल फूल उगा रहे है तो भला मैं घर में यह सब क्यों नहीं कर
सकता।