उरई (जालौन)। बुंदेलखंड जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में कृषि और
बागवानी के संरक्षण व विकास के लिये केंद्र सरकार काफी जोर दे रही है लेकिन
बैंकों के असहयोग की वजह से इस संबंध में बनी योजनायें परवान नहीं चढ़ पा
रही है। सांसद ने भी इसे लेकर मुख्य प्रबंधक लीड बैंक को कड़ा पत्र लिखा है।
मालूम रहे कि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत गठित राष्ट्रीय
बागवानी बोर्ड ने व्यावसायिक उद्यानिकी को बढ़ावा देने के लिये एक योजना
संचालित कर रखी है जिसमें जमीन के समतलीकरण, जुताई, निराई, खाद, तार फेसिंग
आदि को मिलाकर लाभार्थी तीन साल के लिये जो परियोजना बनाता है उसकी लागत
का 20 प्रतिशत अनुदान देय है। लागत में 25 प्रतिशत बैंक ऋण का प्रावधान है।
योजना में सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब तक बैंक ऋण स्वीकृति पर विचार करने
की सहमति न प्रदान कर दें तब तक बोर्ड में लाभार्थी का प्रस्ताव दाखिल
नहीं होता और बैंक से सहमति प्राप्त करना आसान नहीं होता। और तो और
होमगार्ड राज्यमंत्री हरिओम उपाध्याय के पिता गोविंद दास उपाध्याय ने भी
उद्यानिकी का इलाहाबाद बैंक की गोहन शाखा में जो प्रस्ताव प्रस्तुत किया है
वह तक अभी लटका है। इसी बैंक में कुठौंदा के राम मुरारी, त्रिवेणी
क्षेत्रीय ग्राम बैंक कैलिया में ब्यौना निवासी शिवेंद्र प्रताप बुंदेला,
गुलौली निवासी नरुल हसन इटौरा के भागवत सिंह का यही की इलाहाबाद बैंक शाखा व
कीरतपुर के भगवान दास का एसबीआई की कालपी शाखा में विलंबित प्रस्ताव भी
आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
इसी तरह राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पशुपालन को बढ़ावा देने की
योजनायें भी झटका खा रही है। नाबार्ड के मध्यम से डकोर निवासी देवेंद्र
कुमार ने इलाहाबाद बैंक शाखा डकोर, कुटरा निवासी हिम्मत सिंह ने शाखा महेबा
व कालपी निवासी प्रेम बाबू ने शाखा मंडी कालपी में डेयरी उद्योग के लिये
फाइलें प्रस्तुत की जो अभी तक मंजूर नहीं हो पायी है।
परेशान हाल लोगों ने इस मामले में सांसद घनश्याम अनुरागी ने अंवगत
कराया तो उन्होंने मुख्य प्रबंधक लीड बैंक को पत्र लिखा है जिसमें बैंक
लिकिंज योजनाओं में शाखा प्रबंधकों के उक्त रवैये पर नाराजगी जताते हुये
उनसे कहा है कि वे स्वयं हस्तक्षेप कर इस स्थिति को समाप्त करायें ताकि
बागवानी और पशुपालन को बढ़ावा देने की सरकार की मंशा पूरी हो सके।