झांसी। प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की दीपशिखा वीरागना महारानी लक्ष्मी
बाई के शौर्य व बलिदान के मूक साक्षी ऐतिहासिक किले में प्रदेश के
राज्यपाल बीएल जोशी ने अपनी पत्नी के साथ भ्रमण कर अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते
वीरगति को प्राप्त मोतीबाई, खुदा बख्श, गुलाम गौस खा की मजारों पर
पुष्पाजलि अर्पित की।
किले में पंचमहल के निकट राज्यपाल व उनकी पत्नी की अगवानी इन्दुधर
द्विवेदी अधीक्षण पुरातत्व विद् भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लखनऊ मण्डल,
संजय सिंह सहायक पुरातत्व विद्, आरएन सिंह संरक्षण सहायक ने की। इस दौरान
राज्यपाल ने सपत्नीक पंचमहल का भ्रमण किया और वह स्थल देखा जहा से वीरागना
ने घोड़े के साथ छलाग लगाई थी। झण्डेवाली बुर्ज से शहर को निहारा और
जानकारिया हासिल कीं।
वह फासी गृह की तरफ भी गए व जनरल ह्यूरोज प्वाइट को देखा। गुर्ज से ही
उन्होंने कड़क बिजली तोप को निहारा और किले के अन्य हिस्सों का विहगम अवलोकन
किया। इस दौरान वह शकर व गणेश भगवान के मन्दिरों में तो नहीं जा सके,
किन्तु वापसी में वीरागना की फौज के तोपची खुदा बख्श, गुलाम गौस खा व मोती
बाई की मजारों पर जाकर पुष्पाजलि अर्पित की।
इसके बाद राज्यपाल का काफिला रानीमहल पहुचा। वहा उन्होंने बुन्देलखण्ड
के विविध क्षेत्रों से संग्रह कर महल के प्रथम तल में रखी खण्डित प्रतिमाओं
व कलाकृतियों का अवलोकन किया और उनके काल खण्ड के बारे में जानकारी की।
राज्यपाल रानी महल में प्रथम मंजिल स्थित रानी के शयन कक्ष की चित्रकारी व
उसके आगे दरबार में स्थित उस स्तम्भ को देखने नहीं जा सके, जो रानी की
तलवार के प्रहार से फट गया था। राज्यपाल ने रानीमहल के भ्रमण के बाद बाहर
निकल कर सड़क के दूसरी तरफ जुटे जन समुदाय का अभिवादन भी किया । इस दौरान
जिलाधिकारी राजशेखर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार दोहरे सहित अन्य
अधिकारी उपस्थित रहे।