झांसी। बहुत जोर-शोर से कराया गया था कुओं
का सर्वे। अपेक्षाकृत तेजी से तैयार की गयी थी चिह्नित किये गये कुओं की
प्रोजेक्ट रिपोर्ट, लेकिन आठ माह के सफर के बाद भी यह प्रोजेक्ट अभी भी
अधर में लटका है। जाहिर है यदि जल्द शासन स्तर पर इस पर कोई निर्णय नहीं
होता है, तो आने वाले गरमी के मौसम में फिर से पीने के पानी के लिये दो-दो
हाथ करने होंगे।
शहर की बात करे, तो अधिकांश कुओं का अस्तित्व गायब हो चुका है। कई
कुयें तो ऐसे है, जिन्हे जमीन व्यवसायियों ने उन्हे भरकर या तो उस पर
कॉलोनी की सड़क बना दी या फिर प्लॉट के रूप में बेच दिया। शहर के प्राचीन
चौपड़ों की भी यही स्थिति है। कई क्षेत्र ऐसे है, जहां कुछ वर्षो पूर्व तक
कुयें और बावड़ियां हुआ करती थीं, लेकिन हाल के कुछ वर्षो में धड़ाधड़ हुयी
प्लॉटिंग में इनका नामोनिशान समाप्त हो चुका है। नगर निगम में दर्ज आंकड़ों
के अनुसार शहर में 600 से भी अधिक कुयें है, लेकिन जब जल संस्थान ने इन
कुओं का सर्वे कराया ,तो इनकी संख्या मात्र 542 निकली।
यह सर्वे गत वर्ष अप्रैल-मई के माह में उस समय हुआ था, जब शहर में
पीने के पानी की किल्लत थी। उद्देश्य यह था कि इन कुओं का सर्वे कराकर
इनमें से उपयोगी कुओं को चिह्नित किया जाये और फिर उनकी साफ-सफाई के लिये
कार्ययोजना तैयार की जाये, ताकि शहरवासियों को पर्याप्त मात्रा में पीने
का पानी उपलब्ध कराया जाये। इसके लिये अवर अभियन्ताओं ने सर्वे किया और
सर्वे रिपोर्ट के आधार पर 272 कुओं को चिह्नित किया गया। इन कुओं की सफाई
कर उसके पानी की टेस्टिंग की कार्ययोजना तैयार की गयी।
जल संस्थान के अधिशासी अभियन्ता सुरेशचन्द्र के अनुसार इसके लिये लगभग
एक करोड़ की कार्ययोजना तैयार की गयी, जिसके प्रावधानों के अनुसार कुओं की
सफाई के पीछे मकसद यह था कि सफाई से कुओं में पड़ा लगभग तीन-चार फीट तक
मलबा बाहर निकाल लिया जायेगा। इससे उनकी गहराई बढ़ जायेगी और फिर पानी की
टेस्टिंग के बाद उनका पानी पीने के लिये उपयोग में लाया जा सकेगा। इन कुओं
में कुछ कुयें ऐसे भी थे, जिनकी थोड़ी बहुत मरम्मत भी करायी जानी थी।
कार्ययोजना में सफाई के बाद मोटर आदि लगाने का भी प्रावधान किया गया।
सब कुछ तैयार होने के बाद यह कार्ययोजना जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को
भेज दी गयी और हरी झण्डी मिलने का इंतजार किया जाने लगा, लेकिन अभी तक
सिर्फ इंतजार ही हो रहा है। कार्ययोजना का क्या हश्र हुआ, किसी को नहीं
पता। हालांकि विभाग का दावा है कि जिलाधिकारी स्तर से एक बार पुन: स्मरण
पत्र शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी शासन का रवैया इस ओर
ढीला है। जल संस्थान के अनुसार यदि जल्द ही यह कार्ययोजना स्वीकृत नहीं
हुयी और काम शुरू नहीं हुआ, तो आने वाले गरमी के मौसम में एक बार फिर
शहरवासियों को पीने के पानी के लिये जूझना पड़ जायेगा।