झांसी। नगर की दिशा और दशा तय करने वाली नगर
निगम सदन की बैठक अपनी गरिमा के अनुरूप नहीं रही। पार्षदों की आपसी टांग
खिंचाई का आलम यह रहा कि एक मुद्दे पर चर्चा पूरी हो भी न सकी, कि दूसरे
को छेड़ दिया गया। निगम की दुकानों के नामांकन शुल्क को दुगना करने के साथ
ही हो-हल्ला और विरोध के बीच कई प्रस्तावों समेत पुनरीक्षित बजट को भी हरी
झण्डी दे दी गई।
नगर निगम के सभागार में बोर्ड बैठक मेयर डॉ. बी. लाल की अध्यक्षता में
तय समय से करीब पौन घण्टा विलम्ब से शुरू हुई। इसका कारण कोरम के अनुसार
आधे पार्षदों का न आना रहा। शुरूआत में कार्यकारिणी के नए उपसभापति और
सदस्यों का स्वागत किया गया। इसके बाद कचरा प्रबन्धन का मुद्दा उठा तो
पार्षद अनिल बट्टा और मुकेश अग्रवाल ने जनता के ऊपर लगने वाले यूजर चार्ज
का विरोध करते हुए कहा कि जो भी व्यय आए उसका भुगतान नगर निगम के खाते से
किया जाए। इस पर सभी ने सहमति जतायी। इसके बाद प्रोजेक्ट के डीपीआर को
लेकर बहस शुरू हुई, जिसमें पार्षदों ने उसकी जानकारी मांगी। नगर आयुक्त
जेपी चौरसिया ने योजना से सम्बन्धित अभी तक हुई कार्रवाई से सदन को अवगत
कराया। इसके बाद रामप्रकाश मामू और नामित पार्षद दुर्जन मेम्बर ने पूर्व
में पारित हुए प्रस्ताव का हवाला देते हुए कहा कि अभी तक न तो अधिकारियों
को और न ही पार्षदों को सीयूजी फोन दिए गए हैं। इस पर सभी को मोबाइल की
सिम और प्रतिमाह 300 रुपए दिए जाने के प्रस्ताव को पारित कर दिया गया।
पुनरीक्षित बजट जैसे ही पटल पर आया तो शोर शुरू हो गया। इसका कारण
पार्षदों का एक गुट जहां निर्माण के मद में धनराशि बढ़ाने की बात कह रहा
था तो दूसरा बिजली के मद में। नतीजतन दोनों में इसको लेकर खासी बहस हो गई।
निर्माण में 7 लाख, तो बिजली में 2 करोड़ की राशि को बढ़ाकर पुनरीक्षित बजट
को पारित कर दिया गया। लंच के बाद फिर से सदन की कार्रवाई शुरू हुई तो
इसमें मेला की टोरिया स्थित निगम की 13 एकड़ जमीन को कब्जे से मुक्त कराकर
नगर आयुक्त, महापौर का आवास बनाने के साथ ही भव्य पार्क बनाए जाने के
प्रस्ताव को हरी झण्डी दी गई। हैण्डपम्प लगाए जाने के मुद्दे पर सभी सहमत
दिखे। प्रत्येक वार्ड में दो-दो हैण्डपम्प लगाए जाने पर सहमति बनने के बाद
इसको बढ़ाए जाने का मुद्दा गरमा गया और बजट में इसके लिए दो करोड़ रुपए की
धनराशि रखे जाने का प्रस्ताव पार्षद किशोर घोष बापी ने रखा। धनराशि आड़े
आने पर कुछ पार्षद बिजली की धनराशि कम करने की बात कहने लगे तो कुछ
निर्माण की। इस पर दोनों के बीच तकरार इतनी बढ़ गई कि पार्षद अपनी बात
मेयर से न कहकर सीधे एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे। इसी बीच शफीक
मकरानी ने कुओं की सफाई का मुद्दा छेड़ दिया। मामला गरमाता देख बसपा के
पार्षद मोहम्मद जमील उर्फ भूरे ने पार्टी के नए उपसभापति जुगल किशोर के
निर्वाचित होने पर तथा मेयर समेत कांग्रेस के पार्षदों द्वारा पार्टी के
प्रत्याशी के जीतने पर मेयर को पुष्प गुच्छ भेंट किये। इससे बदला माहौल
ज्यादा देर न रह सका और उपसभापति को मेयर के पास बैठने का कुछ पार्षदों ने
यह कहकर विरोध करना शुरू कर दिया कि पूर्व के उपसभापति उनके साथ बैठते थे।
इस पर बात इतनी बिगड़ी की कुछ पार्षदों ने भी अपनी कुर्सी आगे खींच ली और
सदन की गरिमा तार-तार होने लगी। पार्षद अखलाक मकरानी ने सलीम बाग की मुख्य
सड़क का प्रस्ताव पारित हुए एक साल होने के बाद भी निर्माण शुरू न होने का
विरोध दर्ज कराया। इसके बाद गृहकर कम करने का मुद्दा उठा, जिसमें कुछ होटल
व नर्सिग होम का कर कम किए जाने का आरोप लगाया गया। इसके साथ ही आवासीय
भवनों का कर कम करने और व्यवसायिक भवनों का कर बढ़ाए जाने का सुझाव दिया।
इस मौके पर नगर विधायक कैलाश साहू, पार्षद इम्तियाज हुसैन, अविनाश
यादव, नरेन्द्र यादव, संतोष श्रीवास, अरुण द्विवेदी, अजय रावत, महेश गौतम,
अशोक तिवारी, जगदीश शर्मा, विकास खत्री आदि ने प्रस्ताव रखे।