अपना बुंदेलखंड डॉट कॉम परिवार के सदस्यों को "रामनवमी" की शुभकामनायें। राम जिन्होंने बुंदेलखंड के चित्रकूट क्षेत्र में संकल्प लिया कि "निश्चर हीन महि करूँ , भुज उठाहि प्रण (Read More)
उरई (जालौन)। मकर संक्रांति के बाद बढ़ी
सर्दी हर रोज जैसे नया रिकार्ड बना रही है। बुधवार सुबह भी नींद खुली तो
फिर लोगों को कंपकपा देने वाली ठंड का सामना करना पड़ा। कोहरा व गलन से
जनजीवन बेहाल था। ठंड लगने से आज एक और युवक की मौत हो गई। अब तक जिले में
ठंड से मरने वालों की संख्या 21 हो गई है वहीं अलाव व्यवस्था को लेकर
प्रशासन ने जैसे हाथ खड़े कर दिए हैं। बुधवार को कम जगह ही प्रशासन के अलाव
जलते दिखाई दिए।
सर्दी से जूझते निराश्रित गरीब कूड़ा करकट के सहारे अलाव जला रहे थे।
मकर संक्रांति के बाद सर्दी कम होने लगती है लेकिन इस बार मौसम ने इस
धारणा को जैसे बदल दिया है। संक्रांति के बाद ही ठंड ने जोर पकड़ा है जिसकी
वजह से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है। कई दिन से सूरज की तपिश महसूस
नहीं हुई है। बुधवार को स्थिति और ज्यादा खराब हो गई। सुबह से ही घना
कोहरा छा गया। साथ ही गलन की वजह से ठिठुरन और ज्यादा बढ़ गई। शरीर को
गर्म कपड़ों से पूरी तरह से कसने के बावजूद कंपकपी खत्म नहीं हो रही थी।
विपरीत मौसम में दोपहिया वाहन चलाना जान जोखिम में डालने जैसा था। कोहरे
की वजह से मुख्य सड़कों पर यातायात प्रभावित रहा। हालांकि गनीमत रही कि आज
कोहरे की वजह कोई भयंकर हादसा नहीं हुआ। उधर, शिवपुरी में इरफान नाम के
पच्चीस वर्षीय युवक की ठंड लगने से तबियत बिगड़ी। उसे इलाज के लिए जिला
अस्पताल लाया गया जहां से उसे मेडिकल कालेज झांसी के लिए रिफर कर दिया गया
लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। ठंड की मुद्दत बढ़ने से प्रशासन ने
भी राहत के नाम पर जैसे हाथ खड़े कर दिए हैं। आज सबसे ज्यादा ठंड थी। इसके
बावजूद प्रमुख स्थानों पर अलाव जलते नजर नहीं आये। कोई टायर ट्यूब जलाकर
ताप रहा था तो कोई कूड़ा करकट से अलाव जला रहा था। हालांकि दोपहर दो बजे के
बाद जरूर कुछ देर के लिए धूप निकली जिसने आंशिक तौर पर संजीवनी का काम
किया लेकिन शाम होने पर सर्दी के साथ गलन ने फिर से लोगों की कंपकपी छुड़ा
दी। कुछ समाजसेवियों ने राजमार्ग पर गरीबों को चाय पिलाई ताकि उन्हें
सर्दी से कुछ राहत मिल सके। सरकारी दफ्तरों में भी कामकाज बुरी तरह से
प्रभावित हुआ है। इन दिनों कर्मचारी दफ्तरों में जा तो रहे हैं लेकिन
ठिठुरन की वजह से लिखापढ़ी का काम नहीं कर रहे। जिला महिला अस्पताल में
मेज के नीचे नर्स और डाक्टर आग जलाकर तापते हुए काम कर रहीं थीं। ऐसा ही
नजारा कोतवाली परिसर में भी रहा। यहां चौबीसों घंटे अलाव जलाया जा रहा है।
गश्त करके लौटने के बाद पुलिसकर्मी अलाव की तरफ ही भागते हैं। कलेक्ट्रेट,
विकास भवन में भी कमोबेश ऐसा ही नजारा देखने को मिला।