बांदा। लगातार हाईटेक होती दुनिया में जहां
अपराधी भी लगातार अत्याधुनिक संसाधनों से लैस होते जा रहे हैं। वहीं
अपराधों की खोजखबर रखने वाले स्थानीय खुफिया महकमे में संसाधनों का ही
टोटा है। जिसके चलते जनपद की सुरक्षा रामभरोसे है।
माननीयों के सबसे महत्वपूर्ण गढ़ मंडल मुख्यालय के स्थानीय खुफिया
विभाग पर पूरे जनपद की सुरक्षा व अति गोपनीय सूचनाओं को एकत्र करने जैसी
महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते यह विभाग
लगातार असफल साबित हो रहा है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दो कमरों में चल
रहे इस विभाग की बदहाली की बानगी महज इसे देखने से ही मिल जाती है। इस
पूरे विभाग में न कोई कम्प्यूटर है। न फैक्स मशीन ले-देकर एक टाइप मशीन
है। लेकिन इसे चलाने के लिये कोई टाइपिस्ट नहीं हैं। गाड़ी के नाम पर पुलिस
अधीक्षक द्वारा मिली एक मोटरसाइकिल है। जिसमें सारे जनपद की खुफिया
जानकारी एकत्र करने की जिम्मेदारी है। कर्मचारियों के नाम पर एक
इंस्पेक्टर, दो एसआई, चार एसआईबी, एक हेड कांस्टेबिल व दो गार्ड हैं।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अभी कम से कम एक हेड एसआई, दो एसआई, एक
स्टेनो व सात कांस्टेबिलों की कमी है। इसके अलावा वीडियो कैमरा, संचार के
साधन, कम्प्यूटर आदि भी होने चाहिये। उनका कहना है कि कई बार
उच्चाधिकारियों को जरूरतों के लिये लिखा गया है। लेकिन अभी तक कोई जरूरत
की चीज नहीं मिली। संसाधनों के अभाव में लगातार खुफिया तंत्र असफल हो रहा
है।
विभागीय अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जनपद में आये
दिन माननीयों का आना-जाना रहता है। संसाधनों के अभाव में हम उनकी सुरक्षा
से संबंधित अहम जानकारियां जुटा पाने में कई बार असफल रहते हैं। ऐसे में
यदि कोई घटना घटी तो उसका सारा ठीकरा हमारे ही सिर जायेगा। जबकि हमारे पास
अत्याधुनिक संसाधनों के नाम पर कुछ नहीं है।