चित्रकूट। पर्यटन की दृष्टि से खास पहचान
रखने वाले चित्रकूट की शान में एक और नगीना इस साल लग सकता है। देवांगना
घाटी के ऊपर हवाई पट्टी का निर्माण कर रही एजेंसी राइट्स का दावा है कि सब
ठीक ठाक रहा तो साल के अंत तक चित्रकूट में हवाई पट्टी के निर्माण के साथ
ही गेस्ट हाउस व अन्य भवनों को पूरा कर दिया जायेगा। इसके बाद यहां सुदूर
देश से सैलानियों का आना बढ़ जायेगा। इससे क्षेत्र में रोजगार में भी
वृद्धि होगी।
गौरतलब है कि पिछले जिलाधिकारी हृदेश कुमार के विशेष प्रयास पर हवाई
पट्टी का निर्माण तीसरी बार उसी जगह प्रारंभ किया गया जहां 2002 में
पद्मश्री नाना जी देशमुख की प्रेरणा से उद्योगपति बसंत पंडित ने यह काम
शुरू किया था। काम के बीच में ही उन्होंने अपने हाथ खड़े कर दिये और फिर
यह काम सरकार ने वापस ले लिया। इसके बाद मामला लटकता रहा। वर्ष 2005 में
मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में फिर हवाई पट्टी के निर्माण की बात आगे
आई तो तत्कालीन जिलाधिकारी रमाशंकर साहू ने इसी जमीन को उपयुक्त माना और
शासन ने भी राइट्स कम्पनी को यह काम दे दिया। राइट्स ने यहां पर काम
प्रारंभ कर लगभग डेढ़ किलोमीटर रन वे पर पत्थर की कुटाई का काम कर डाला।
इसी दौरान डाकुओं के डर से कम्पनी के कर्मियों को वापस लौटना पड़ा। पिछले
जिलाधिकारी द्वारा विशेष रुचि लेने के कारण वर्ष 2009 के अंत में फिर से
एक बार कंपनी ने यहां पर आकर काम प्रारंभ किया है। अब काम काफी तेजी से
किया जा रहा है।
जहां एक तरफ जिला प्रशासन ने रुचि लेते हुए देवांगना पहाड़ के ऊपर रन
वे तक पहुंचने के लिए मार्ग का निर्माण करा दिया है वहीं जल निगम न तो
यहां तक पानी पहुंचा पाया है और न ही बिजली विभाग ने अभी कनेक्शन दिया है।
राइट्स कम्पनी के लगभग दो दर्जन कर्मचारी एक सैकड़ा मजदूरों के साथ काम पर
लगे हैं।
अठारह सौ मीटर लंबे व लगभग 95 मीटर चौड़े रनवे का निर्माण करने के साथ
ही बिल्डिंग का निर्माण करने के लिए आये कम्पनी के संजय सिंह कहते हैं कि
वन विभाग के अधिकारियों का रवैया अभी सहयोगात्मक नहीं है। वन्य भूमि को
हवाई पट्टी के लिए दिये जाने की बात तो सरकारी तौर पर निश्चित हो चुकी है
पर वे अभी तक यह बताने को तैयार नही हैं कि हवाई पट्टी की जमीन कहां से
कहां तक है। अगर वे जमीन को सही तौर पर चिह्नित कर बता दें तो फिर इसी
वर्ष रनवे व भवन का काम खत्म कर दिया जायेगा।